केंद्र की मोदी सरकार की सख्ती के बावजूद जमीयत उलेमा हिंद ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के उस फतवा का समर्थन किया है, जिसमें अहमदिया समाज को ‘गैर मुस्लिम’ और ‘काफिर’ घोषित किया गया है. जमीयत ने अहमदिया समाज को मुस्लिमों का दुश्मन और गैर इस्लामी बताया है.

meerut news

जमीयत ने 25 जुलाई 2023 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमे कहा कि वक्फ बोर्ड की स्थापना मुस्लिमों की वक्फ संपत्तियों और उनके हितों के संरक्षण के लिए की गई है, जो समुदाय मुस्लिम नहीं हैं उसकी संपत्तियाँ और इबादत के स्थान बोर्ड के दायरे में नहीं आते हैं.

वक्फ अधिनियम 1995 के तहत बोर्ड को भारत में वक्फ संपत्तियों की देखरेख और उनका मैनेजमेंट का अधिकार है. राज्य वक्फ बोर्ड को किसी समुदाय के खिलाफ आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है.

जमीयत ने 10 अप्रैल 1974 को आयोजित इस्लामी संगठन राब्ता आलम-ए-इस्लामी (मुस्लिम वर्ल्ड लीग) के सम्मेलन का हवाला दिया है. तब 110 देशों से आए मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने अहमदिया समुदाय को इस्लाम से बाहर बताते हुए मुसलमानों का दुश्मन घोषित किया था.

nikah halala

आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड फतवे पर केंद्र की मोदी सरकार ने सख्त नाराजगी जताई थी. इस फतवे के जरिए अहमदिया समाज को ‘गैर मुस्लिम’ और ‘काफिर’ घोषित किया गया था.

घटना कराची के ड्रिघ रोड इलाके में शाह फैसल कॉलोनी के ‘बैत उल मुबारिक’ मस्जिद की है. इस मामले में जमात-ए-अहमदिया के प्रवक्ता आमिर महमूद ने कहा है कि एक दर्जन लोग मस्जिद में घुस आए. हमलवारों ने हथौड़ों से मीनार को तोड़ दिया और दीवारों पर विवादास्पद बातें लिख दीं.