दुनिया के अखबारों द गार्डियन और फाइनेंशियल टाइम्स में गौतम अदाणी के बारे में खबर है कि अदाणी परिवार से जुड़े व्यक्ति ने विदेशी फंड के जरिए अपने ही स्टॉक में निवेश किया. अदाणी जी की कंपनियों के नेटवर्क के जरिए एक अरब डॉलर पैसा भारत से बाहर गया और अलग-अलग देशों से घूमकर वापस आया. इससे अदाणी समूह के शेयरों की कीमत बढ़ी.

george soros rahul gandhi

अडानी ग्रुप करीब 7 महीने में दूसरी बार आरोपों के घेरे में है. हिंडनबर्ग के बाद अब बुधवार को नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट जारी कर कई खुलासे किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत तरीके से शेयरों की कीमत बढ़ाई गई हैं. अडानी ग्रुप का भी बयान आ चुका है, अडानी ग्रुप ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि OCCRP ने हिंडनबर्ग के आरोपों को ही दोहराने का काम किया है.

क्या कहा सोरोस ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के बारे में

सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लगातार सत्ता में बने रहने से तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं. भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी पर निशाना साधा था.

सोरोस का आरोप था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है. इसी साल जनवरी में जब हिंडनबर्ग से अडानी ग्रुप पर सवाल उठाया तो हाथ सेंकने के लिए जॉर्ज सोरोस भी सामने आ गए थे. जॉर्ज सोरोस ने अडानी मुद्दे के बहाने फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा. सोरोस ने दावा किया था कि अडानी के मुद्दे पर भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा.

जॉर्ज सोरोस के बेतुके बयान?

वैसे जॉर्ज सोरोस बेतुके बयान देने में भी पीछे नहीं रहते हैं. बीते दिनों उन्होंने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं. मोदी के तेजी से बड़ा नेता बनने के पीछे अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है. इससे पहले 2020 में जॉर्ज ने कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है.

soros adani

नवंबर 2003 को वॉशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में सोरोस ने कहा था, जॉर्ज डब्ल्यू बुश को राष्ट्रपति पद से हटाना उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद है और ये उनके लिए ‘जीवन और मौत का सवाल’ है. सोरोस ने कहा था कि अगर कोई उन्हें सत्ता से बेदखल करने की गारंटी लेता है, तो वो उस पर अपनी पूरी संपत्ति लुटा देंगे.

कौन है जॉर्ज सोरोस?

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब हंगरी में यहूदियों को मारा जा रहा था, तब उनके परिवार ने झूठी आईडी बनवाकर जान बचाई थी. विश्व युद्ध खत्म होने के बाद जब हंगरी में कम्युनिस्ट सरकार बनी तो 1947 में वो बुडापेस्ट छोड़कर लंदन आ गए.

यहां उन्होंने रेलवे कुली से लेकर एक क्लब में वेटर का काम भी किया. इसी दौरान उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की. 1956 में वो लंदन से अमेरिका आ गए. यहां आकर उन्होंने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कदम रखा और अपनी किस्मत बदली.