लेकिन अरविंद केजरीवाल की हालत खिसीयानी बिल्ली की तरह हो गई है. जो बस अब खंबा नोचने का काम कर रहे हैं. पूरे विपक्ष को इकठ्ठा करके ना तो केजरीवाल लोकसभा में इस कानून को पास होने से रोक पाए ना ही राज्यासभा में पास होने से इसे कोई रोक पाया. जबकि राज्यसभा के लिए तो सीना ठोककर अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि वो अध्यादेश को गिरा देंगे.

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लेकिन हर दावे की तरह उनका ये दावा भी खोखला ही निकला.  और दोनों सदनों से अध्यादेश पर बिल पास हो गया. जिसके बाद इस पर राष्ट्रपति की भी मुहर लग गई. और दिल्ली में ये कानून लागू होते हुए. केजरीवाल के लिए नई मुसीबतों को लेया. इस कानून ने कैसे आम आदमी पार्टी के एक एक नेता की नींदें उड़ा रखी है.

अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र सरकार का नया कानून बनाने के बावजूद दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची और इस बार नए कानून को चुनौती दी. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनसीटीडी (संशोधन) कानून, 2023 को चुनौती दी है. दिल्ली सरकार ने 19 मई के सेवा अध्यादेश की वैधता को चुनौती दी थी, लेकिन उससे जुड़ा बिल कुछ दिनों पहले ही जब संसद के दोनों सदनों में पास हो गया.

ऐसे में याचिका में लिखी बातों से गलतफहमी ना हो तो इस वजह से सरकार याचिका में संशोधन कर उसमें एनसीटीडी सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 लिखना चाहती है. जिससे अब कानून को चुनौती दी जा सके. दिल्ली सरकार ने कानून पास होने की की बात को सुप्रीम कोर्ट में रखते हुए अपनी याचिका में संशोधन की अनुमति मांगी थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने  मंजूरी देदी और दिल्ली के नए सेवा कानून पर सुनवाई करने का फैसला करते हुए दिल्ली सरकार की अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी किया है.

atishi saurabh bhardwaj

क्या है दिल्ली सेवा कानून ?

दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण यानी NCCSA करेगा. इसके चेयरमैन मुख्यमंत्री हैं और दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव हैं. यानी मुख्यमंत्री अल्पमत में हैं, वे अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकेंगे. जो भी फैसला होगा उसपर अंतिव मुहर एलजी की ही लगेगी. तभी फैसले को मंजूरी भी मिलेगी.

सत्येंद्र जैन के जरिए pwd के साथ मिलकर 2018 में विभव कुमार को आलीशान बंगला दे दिया गया. लेकिन इसका खुलासा होने के बाद विजिलेंस विभाग की ओर से pwd को केजरीवाल के पीए के बंगले के अलॉटमेंट को रद्द करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं.

आतिशी ने कहा है कि 16 अगस्त को बतौर सर्विसेज व विजिलेंस मंत्री सेक्रेटरी सर्विसेज, सेक्रेटरी विजिलेंस को एक आदेश दिया. इसके जवाब में 21 अगस्त को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 10 पन्ने की चिट्ठी लिख कर जीएनसीटीडी अमेंडमेंट एक्ट 2023 का हवाला देते हुए आदेश को मानने से इन्कार कर दिया. लोकतंत्र में अफसरों की जवाबदेही मंत्री के प्रति, मंत्री की विधानसभा के प्रति और विधानसभा की जनता के प्रति होती है, लेकिन अधिकारी मंत्री की बात ही नहीं मान रहे.