सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के साथ ही राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो गई थी. जिसके बाद ना सिर्फ उन्हें संसद में एंट्री मिली बल्कि 2024 का चुनाव लड़ने का रास्ता भी राहुल के लिए साफ हो गया था. राहुल गांधी की सदस्यता बहाली को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है. ये याचिका लखनऊ के वकील अशोक पांडे ने दायर की है.

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सदस्यता बहाली के खिलाफ याचिका में क्या कहा गया

पांडे ने याचिका में कहा है कि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के साथ संविधान के अनुच्छेद 102, 191 के तहत अपना पद खो देता है तो वो तब तक अयोग्य घोषित रहेगा जब तक कि कोई हायर कोर्ट उस व्यक्ति को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी नहीं कर देता है. याचिका में तर्क दिया गया है कि एक बार आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने और 2 साल कारावास की सजा मिलने के बाद राहुल गांधी ने अपनी लोकसभा सदस्यता खो दी थी, इसलिए लोकसभा अध्यक्ष राहुल की खोई हुई सदस्यता को वापस बहाल करने में सही नहीं थे.

सीआरपीसी के सेक्शन 389 के तहत सिर्फ ऊपरी अदालत को ही यह अधिकार है कि वह किसी को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सुनवाई करे और उसे मिली सजा पर रोक लगाए या फिर खत्म कर दे. एक तरह से अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गौर किया जाए तो मामले में राहुल गांधी की सजा तो माफ की ही नहीं गई है.

क्या है मोदी सरनेम मानहानि मामला?

सूरत की एक अदालत ने राहुल को अप्रैल, 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान की गई उनकी टिप्पणी ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे है’ के लिए सजा सुनाई थी. इस टिप्पणी के जरिए राहुल गांधी की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी और ललित मोदी के बीच संबंध बनाने की कोशिश की थी.

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मोदी सरनेम केस में गुजरात की एक कोर्ट की तरफ से राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई गई थी. फिर सजा मिलने के बाद राहुल की सदस्यता 24 मार्च को रद्द की गई थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने 7 अगस्त को उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी.

अशोक पांडे की याचिका से राहुल को लगा झटका

राहुल पर पहले से ही लगभग 10 मानहानि के केस चल रहे हैं. जिनका हवाला देते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने से इनकार कर दिया था. बड़े ही जतन के बाद राहुल को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिली. जिसके बाद कांग्रेस को उसके सपने साकार होते दिखाई देने लगे थे. राहुल गांधी की सदस्यता बहाल ना होने के चलते कांग्रेस ने पीएम पद की दावेदारी तक छोड़ दी थी.

जबतक सुप्रीम कोर्ट से राहुल के इस मामले में फाइनल फैसला नहीं आ जाता है. तब तक राहुल गांधी की सदस्यता पर तलवार लटकी ही रहेगी. ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या राहुल गांधी सदस्यता फिर से रद्द हो सकती है.