मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बने लगभग एक साल पूरा होने वाला है. और अब उन्होंने खुलासा किया है किया है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी के कहने पर उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था. राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ देने के बाद से पार्टी में कोई स्थिर अध्यक्ष नहीं था. गांधी परिवार का ही कोई ना कोई सदस्य हमेशा से कांग्रेस की कामान को संभाले हुए था.

rahul kharge

लेकिन राहुल गांधी के पद से इस्तीफा देने के बाद से ही बार बार सवाल खड़े किए जा रहे थे कि कांग्रेस की कमान अब किसे सौंपी जाएगी. राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दिया था. जिसके साथ चार पेज की चिठ्ठी भी लिखी थी.

हालांकि, सोनिया गांधी की तबीयत लंबे समय से खराब है जिसके चलते वो पार्टी की कई बैठकों में शामिल नहीं हो पाती जिसे लेकर कांग्रेस से संबंधित कई फैसले लेना भी मुश्किल हो जाता था.

BJP के परिवारवाद के आरोपों से मुक्ति

इसका पहला आधार था तो 2019 के चुनावों में हार के बाद से ही राहुल गांधी संगठन में जवाबदेही तय करने के साथ परिवारवाद के आरोपों से भी पार्टी को मुक्त कराना चाहते हैं. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम नेताओं की ओर से कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने लालकिले से कई बैर इस मुद्दे को उठाया है.

भाजपा ने तो कांग्रेस पार्टी को प्राइवेट लिमिटिड कंपनी तक करार दिया है. जिसका सीईओ वहीं होता है जिसके पास कंपनी का मालिकाना हक होता है. ऐसे ही कांग्रेस की कमान भी उसे के पास होती रही है जो उसका मालिक है.

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कथनी करनी में होता अंतर

एक दूसरा आधार ये था कि राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे में यह भी लिखा था कि पार्टी का नया अध्यक्ष चुनाव से तय किया जाए. इसलिए उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए किसी का नाम आगे नहीं बढ़ाया था. इस चिठ्ठी के बाद से राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर अपना स्टैंड नहीं बदला है.

विपक्षी एकता की अटकलें तेज

राहुल गांधी कांग्रेस की कमान छोड़कर विपक्षी एकता की कमान को संभालने की रणनीति बना रहे थे. क्योंकि जिस वक्त 2019 में राहुल ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ा था उसके बाद से ही विपक्षी एकता की अटकलें तेज हो गई थी.

कयास लगाए जाने लगे थे कि राहुल अब विपक्षी एकता का नेतृत्व करेंगे और 2024 में पीएम पद के दावेदारी की तैयारी करेंगे. विपक्षी एकता भी हुई जिसकी कवायद राहुल गांधी ने शुरू की और आज कांग्रेस पार्टी विपक्षी गठबंधन के चहेरे के तौर पर राहुल गांधी को तैयार करने में लगी है.