अमित शाह ने लोक सभा में आप सरकार के घोटालों से लेकर सीएम के 45 करोड़ के शीश महल तक अरविंद केजरीवाल को जमकर घेरा. YSRCP, TDP, BJD जैसी पार्टियों ने केंद्र सरकार को समर्थन दे दिया. जिसके बाद लोकसभा में तो बिल पास हो गया और राज्यसभा में भी बिल के पास होने की संभावना है.

sanjay singh

संजय सिंह का बयान

आप सांसद संजय सिंह लगातार इस बिल को गैर संवैधानिक बता रही है. संजय सिंह ने बयान दिया है कि बीजेपी पिछले 25 साल के दौरान हर संभव कोशिश के बावजूद दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाई. इससे बीजेपी के नेता बौखलाए हुए हैं. अब दिल्ली अध्यादेश के जरिए संविधान संशोधन कर सरकार के अधिकार छीनने पर उतारू हैं.

दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पूर्ण राज्य की वकालत की थी. इसके बावजूद केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर दिल्ली सरकार के अधिकारों को छीनने पर उतारू है.

संजय सिंह का कहना है कि संविधान की जिस धारा 239A के तहत दिल्ली का निर्माण हुआ था, उसमें सिर्फ 3 विषयों को छोड़कर बाकी सभी विषय दिल्ली सरकार के पास थे, जिसमें सेवा विभाग भी शामिल है. संविधान में संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए होता है. ये बिल सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा. हकीकत यह है कि BJP संघीय ढांचे को तोड़ने के लिए बिल लेकर आई है.

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सेक्शन 3A और 45D में अहम बदलाव

केंद्र सरकार ने बिल लाने से पहले सेक्शन 3A और 45D में अहम बदलाव किए हैं. धारा 3A जो अध्यादेश का हिस्सा थी, उसे प्रस्तावित विधेयक से पूरी तरह हटा दिया गया है. धारा 3A संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-2 की प्रविष्टि 41 से संबंधित है. अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा को सेवाओं से जुड़े कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा.

लेकिन प्रस्तावित विधेयक में अध्यादेश की एक अन्य धारा 45D के तहत प्रावधानों को कमजोर कर दिया गया है. धारा 45D बोर्डों, आयोगों, प्राधिकरणों और अन्य वैधानिक निकायों के लिए की जाने वाली नियुक्तियों से संबंधित है. इस अध्यादेश ने एलजी/राष्ट्रपति को सभी निकायों, बोर्डों, निगमों आदि के सदस्यों/अध्यक्षों आदि की नियुक्ति या नामांकन करने की विशेष शक्तियां प्रदान कीं हैं.