मुंबई में 31 अगस्त से 1 सितंबर को विपक्ष की बैठक होने वाली है. राहुल गांधी को विपक्ष का चेहेरा घोषित किए जाने पर विपक्षी गठबंधन में किसी को आपत्ति नहीं थी. एक इंटरव्यूह में जब गहलोत से ये सवाल किया गया कि क्या आगामी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने फ्रंटफुट पर आना चाहिए?

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इस पर जवाब देते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि अगर इंडिया गठबंधन बना है तो आपस में सभी पार्टियों ने विचार-विमर्श के बाद ही यह फैसला लिया है. लेकिन कांग्रेस पार्टी का चेहरा राहुल गांधी है. कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी हैं. राहुल गांधी थे और रहेंगे. मैंने कुछ अलग नहीं कहा है, यही बात खड़गे जी भी कह रहे हैं.

गहलोत ने अपने बयान में साफ साफ कहा है कि राहुल कांग्रेस का चहेरा थे है और रहेंगे. और यही बात खड़गे भी कहते आए हैं. बैगलूरू की मीटिंग के बाद ही टीएमसी नेता शताब्दी रॉय ने ये बयान दे दिया था कि अगर कांग्रेस पीएम पद की दावेदारी से पीछे हट गई है. ममता बनर्जी को इस पद के लिए कदम बढाना चाहिए. इसके बाद हाल में टीएमसी के एक कार्यक्रम में ममता फॉर पीएम लिखा बैकड्रॉप देखा गया है.

‘बोलचे बांलार जोनोता-प्रधानमंत्री होक ममता’ बंगाली भाषा में ये सलोगन दिया गया. जिसका मतलब है कि बंगाल की जनता ममता बनर्जी को पीएम के तौर पर देखना चहाती है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी इस रेस में दौड़ रहे हैं. जेडीयू की ओर से भी दो बार नीतीश कुमार का नाम आगे किया जा चुका है. और यही कहा गया है कि जनता नीतीश को पीएम के तौर पर देखना चहाती है. हालांकि नीतीश कुमार की ओर से इस बात से साफ इंकार कियाजाता रहा है कि वो पीएम नहीं बनना चहाते हैं.

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बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी ट्विट कर कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस ने बड़ी चालाकी से मुंबई मीटिंग से पहले राहुल गांधी को गठबंधन के मुख्य चेहरे के तौर पर सामने रखा है. प्रथम परिवार की सहमति से बघेल और गहलोत दोनों ने यह बात कही है. यह केजरीवाल, शरद पवार, ममता, नीतीश, अखिलेश आदि जैसे अन्य उम्मीदवारों को कहां छोड़ता है? AAP ने ऑन रिकॉर्ड कहा है कि राहुल को दोबारा प्रोजेक्ट न करें, फिर भी कांग्रेस ने एक तरफा काम किया है.

अगर ममता केजरीवाल और नीतीश कुमार जैसे नेता कांग्रेस के इस फैसले में उसका समर्थन करते हैं. टीएमसी आप और जेडीयू ने कांग्रेस से हाथ मिलाया था ताकि उन्हें फायदा पहुंच सके. लेकिन कांग्रेस ने सबका साथ पाकर अपना फायदा खोजा और सभी को एक किनारे कर दिया. ऐसे में जाहुर तैर पर अशोक गहलोत ने जो बयान दिया है. वो इस मायने में भी अहन क्योंकि कांग्रेस पार्टी की ओर से इसे लेकर अब तक ना कोई बयान दिया गया है.

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