1969 में, बेंगलुरु में लालबाग का ग्लास हाउस महीनों के आंतरिक संघर्ष के बाद कांग्रेस पार्टी के पहले विभाजन का गवाह बना. 50 से अधिक वर्षों के बाद, कांग्रेस उसी शहर में 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयासों का नेतृत्व कर रही है.

opposition meeting

कर्नाटक में इस तरह के दूसरे सम्मेलन में छब्बीस विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया था, जहां कांग्रेस ने दो महीने पहले चुनाव में जीत हासिल की थी. पटना में आयोजित विपक्षी एकता की पहली बैठक मोटे तौर पर एक आदर्श वाक्य के साथ काम कर रही थी: समानताओं पर ध्यान केंद्रित करें, मतभेदों को नजरअंदाज करें.

लेकिन बैठक से अनुपस्थित कुछ प्रमुख लोग- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सभी तीन प्रमुख दल: तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस, पहले टीआरएस)- ने इस तरह के गठन में समस्याएं दिखाईं भाजपा के खिलाफ विपक्ष खड़ा करने के अपने साझा लक्ष्य के बावजूद एकता.