केंद्र सरकार ने विशेष सत्र को लेकर अपना प्रस्तावित एजेंडा जारी कर दिया है. सरकार की तरफ से बताया गया है कि सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में 75 सालों की संसद की यात्रा पर चर्चा होगी. इस दौरान देश की आजादी के बाद संविधान सभा के गठन से लेकर 75 सालों तक की देश की यात्रा, उसकी उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा  वहीं सत्र के दौरान चार विधेयकों को भी दोनों सदनों में पेश किया जाएगा.

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इन विधेयको में सरकार एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023, प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 को लोकसभा में पेश किया जाएगा. ये दो बिल राज्यसभा से पास कराए जा चुके हैं. इन दो बिलों के अलावा डाकघर विधेयक 2023 और मुख्य निर्वाचन आयुक्त बिल, जिसमें निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किए जाएंगे. संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर को पूरानी संसद से शुरू होकर 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के पावन दिन पूजा पाठ के साथ सासंदों को नई संसद में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

एडवोकेट संशोधन विधेयक, 2023

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मानसून सत्र में इस बिल को राज्यसभा में पेश किया था, जहां इस पर चर्चा की जानी थी. इस बिल में अपनी उपयोगिता खो चुके सभी अप्रचलित कानूनों को या फिर स्वतंत्रता पूर्व से पहले के अधिनियमों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार लोकसभा में पेश करेगी.

इस बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का फैसला है तो वहीं अधिवक्ता अधिनियम, 1961 को भी संशोधित किया जाएगा. इस विधेयक में प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय‚जिला न्यायाधीश‚सत्र न्यायाधीश‚जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी दलालों की सूची बना और प्रकाशित कर सकते हैं. कानून की पढ़ाई और कानूनी प्रशासन में आवश्यक परिवर्तनों के लिए भी सरकार अहम कदम उठा सकती है.

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प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023

मानसून सत्र में ही सरकार ने 2023 में प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक को राज्यसभा से पास करा लिया था. अगर यह बिल लोकसभा से पास हो जाता है तो लोगों को कई सहूलियतें मिलेंगी. इस बिल के लागू होने के बाद डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा. इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता शुरू करना है.

इस बिल से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया आसान हो जाएगी. अगर आप अपना अखबार शुरू करना चाहते हैं तो आप जिला कलेक्टर के पास आवेदन कर सकते हैं. प्रेस का संचालन नहीं करने के लिए कई दंडात्मत प्रावधानों को हटा दिया है.

डाकघर विधेयक, 2023

डाकघर विधेयक 2023, दस अगस्त, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था. यह 1898 में बने पुराने अधिनियम की जगह लेगा. यह विधेयक डाक घर को पत्र भेजने के साथ-साथ पत्र प्राप्त करने, एकत्र करने, भेजने और वितरित करने जैसी आकस्मिक सेवाओं के विशेषाधिकार को खत्म करता है.

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इस विधेयक में डाकघर खुद का विशिष्ट डाक टिकट जारी कर सकेंगे. उनके पास ऐसा करने का विशेषाधिकार होगा. यह अधिनियम पोस्ट के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट को रोकने की अनुमति देता है. किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा और शांति के मद्देनजर पोस्ट ऑफिस के कुछ शीर्ष अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वह किसी शिपमेंट को ओपन करें, उसे रोकें या फिर नष्ट कर दें.

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा शर्त) विधेयक, 2023

सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करने के उद्देश्य से राज्यसभा के मानसून सत्र में एक विधेयक प्रस्तुत किया है. इस विधेयक पर सरकार का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 324 में कोई संसदीय कानून नहीं था, इसलिए सरकार अब इस समस्या को खत्म करने के लिए इस विधेयक का निर्माण कर रही है.

इस बिल की विशेषताओं पर बात करें तो इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे. सदस्य के तौर पर लोकसभा के नेता विपक्ष ये भूमिका निभाएंगे. और अगर लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता यह भूमिका निभाएगा. वहीं प्रधानमंत्री एक सदस्य के तौर पर एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को नामित कर सकेंगे.

हालांकि यह बिल विवादास्पद बताया जा रहा है, क्योंकि इसमें शक्ति का संतुलन एक तरफा है, जिससे चुनाव आयुक्त निष्पक्ष नहीं रह जाता है. ऐसे में विपक्ष का कहना है कि यदि यह बिल पास होता है तो इसकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में रहेगी, क्योंकि चुनाव आयोग पर एकतरफ नियंत्रण देश की चुनावी प्रक्रिया को बाधा पहुंचाएगा. चुनावों में पारदर्शिता नहीं रह जाएगी.