पांच दिनों से सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 को ले कर सुनवाई चल रही है. जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने वाले केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बहस चल रही है.
कपिल सिब्बल, जफर शाह सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. और सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता इस मामले में हैं. लेकिन, इस बीच सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियां भी काफी महत्वपूर्ण है, जिससे जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले के कारण और परिणाम को समझा जा सकता है.
इस मामले को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ सुन रही है. सुनवाई के पांचवे दिन सीजेआई ने कहा एक बात बहुत स्पष्ट है कि भारत के साथ जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का समर्पण किसी शर्त के साथ नहीं हुआ था.
इसके ऊपर एडवोकेट जफर शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान का निर्माण विलयपत्र की प्रकृति के साथ-साथ 1948 की उद्घोषणा में निहित है और यही वजह है कि राज्य के लिए एक अलग संविधान को स्वीकार किया गया था. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए यह विशेष व्यवस्था क्यों की गई.
इससे पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अकबर लोन के वकील कपिल सिब्बल ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के संबंध में ऐसी दलील रखी, जिसे सुनने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने उनकी बात वहीं काटी.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘यदि आप किसी सहकर्मी का जिक्र करते हैं तो आपको मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करना होगा क्योंकि एक बार जब वे न्यायाधीश नहीं रह जाते तो वे विचार बन जाते हैं’.