छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है. अरविंद नेताम के पार्टी छोड़ने की अटकलें लंबे समय से लगाई जा रही थीं. उन्होंने बुधवार को विश्व आदिवासी दिवस के दिन कांग्रेस से इस्तीफ़े की घोषणा की. इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रह चुके, पांच बार के सांसद 80 साल के अरविंद नेताम ने ऐसे समय में इस्तीफ़ा दिया है, जब राज्य में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.
अरविंद नेताम ने कहा, “पिछले पौने पांच सालों में कांग्रेस पार्टी ने मुझे हाशिये पर रखा जब मर्ज़ी तब बुलाया, जब मर्ज़ी तब दुत्कार दिया. कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में भी आदिवासी हितों की उपेक्षा लगातार जारी रही. पेसा कानून को तहस-नहस कर दिया गया. यही वजह है कि मैंने पार्टी की जगह समाज के लिए काम करना शुरू किया”.
नेताम के कांग्रेस पर आरोप
किसी दूसरे दल में जाने की अटकलों को पूरी तरह खारिज़ करते हुए अरविंद नेताम ने कहा कि वे मुख्य रूप से सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इसके बाद कांग्रेसी या राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. अरविंद नेताम ने आरोप लगाया, “एडसमेटा, सारकेगुड़ा जैसी फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को इस सरकार ने विधानसभा में पेश किया लेकिन कई दर्जन आदिवासियों को माओवादी बता कर की गई हत्या के मामले में आज तक एक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई.”
उन्होंने कहा, “हमारी पुरखों ने अपने जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए बेईमान सरकारों से लड़ाई लड़ी थी. बिरसा मुंडा से लेकर सिद्धू कान्हू और गुंडाधूर तक हमारे संघर्ष का इतिहास रहा है. ये लड़ाई अब भी जारी है.”
कांग्रेस की सफ़ाई
अरविंद नेताम के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़े की ख़बरों के बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि आदिवासी समाज कांग्रेस पार्टी की सरकार से ख़ुश है. पत्रकारों से बातचीत में दीपक बैज ने कहा, “हर व्यक्ति को संतुष्ट कर पाना, खास कर राजनीतिक व्यक्ति को संतुष्ट कर पाना, मैं समझता हूं, संभव है. लेकिन आदिवासी समाज और आदिवासी वर्ग, हमारी सरकार से बहुत खुश है.”
अरविंद नेताम के कांग्रेस पार्टी छोड़ने को विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस के लिए एक ‘बड़ा झटका’ करार दिया है. इसी साल मई में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नंद कुमार साय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे. नंद कुमार साय राज्य के उत्तरी हिस्से सरगुजा संभाग से आते हैं, तो अरविंद नेताम की राजनीतिक ज़मीन राज्य का दक्षिणी हिस्सा बस्तर रहा है.
जारी रहा अंदर बाहर जाने का दौर
चुनावी हार के बाद 1998 में अरविंद नेताम की घर वापसी हुई. दो साल बाद छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना लेकिन अरविंद नेताम हाशिए पर रहे. 15 अक्टूबर, 2003 को अरविंद नेताम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ कर एनसीपी का दामन थाम लिया. लेकिन चार महीने में ही उनका एनसीपी से मोहभंग हो गया. 7 फरवरी, 2004 को अरविंद नेताम भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए लेकिन यहां भी उनका मन नहीं माना.
21 सितंबर, 2007 को वो फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के समय उन्होंने यूपीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी की जगह आदिवासी नेता पीए संगमा को समर्थन दिया था.
मई, 2018 को राहुल गांधी ने फिर से अरविंद नेताम को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई. बस्तर के इलाके में पार्टी 12 में से 11 सीटें जीतने में सफल रही. अरविंद नेताम का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें किनारे कर दिया गया.
भाजपा विधायक नारायण चंदेल का दावा है कि राज्य की 90 में से आदिवासियों के लिए आरक्षित 29 सीटों पर सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार अगर खड़े होंगे तो कांग्रेस पार्टी मुश्किल में आ जाएगी. अभी 29 में से 26 सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्ज़ा है.