छत्तीसगढ़ कांग्रेस का 2 हजार करोड़ बड़ा घोटाला पकड़ा गया है. हैरानी की बात तो ये है कि यहां तो पुरानी शराब नीति में ही शराब को ऐसे बेचा का प्लान बनाया गया कि सुनने के बाद जज साहब के भी होश उड़ गए. ऐसे ऐसे सबूत ईडी ने कोर्ट में पेश किए हैं. जिससे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का चुनाव से पहले सारा खेल बिगड़ गया है.

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ईडी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में कांग्रेस के 2 हजार करोड़ से ज्यादा के शराब घोटाले के दस्तावेज कोर्ट में पेश किए. इन दस्तावेजों में खुलासा हो रहा है कि दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में प्रदेश में बड़े पैमाने पर नकली होलोग्राम की आपूर्ति की गई थी. इसके लिए नोएडा की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड की विधु गुप्ता ने पूर्व आबकारी आयुक्त अरुणपति त्रिपाठी को 90 लाख रुपये की रिश्वत भी दी थी.

इससे राज्य के खजाने को 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और आरोपियों ने घोटाले के पैसों से अपने घर में नोटों का पहाड़ बना लिया. और बघेल साहब तमाशा देखते रहे. अरुणपति त्रिपाठी समेत दोनों नौकरशाह ने रिश्वत की रकम वसूलने के लिए एफए-10 ए लाइसेंस की बाध्यात को लागू कर दिया. इसे उन लोगों को दिया गया, जो शराब कारोबारी अनवर ढेबर से जुड़े हुए थे. इस तरह देशी शराब दुकानों में विदेशी शराब भी बेची जाने लगी. राज्य प्रशासनिक सेवा से 2003 में प्रमोट आईएएस बने निरंजन दास गरियाबंद के अलावा कई जिलों में कलेक्टर की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

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31 जनवरी 2023 को रिटायर होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें प्रतिनियुक्त देते हुए सचिव इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साथ, प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, सचिव वाणिज्य कर आबकारी विभाग, आयुक्त आबकारी, प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन और सचिव वाणिज्य कर पंजीयन विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे दी. इस जिम्मेदारी को निभाते निभाते जनाब घोटाले की दहलीज पर आ खड़े हुए और साथ मिलकर घोटाले के लिए एक जाल बिछाया.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने एक बयान में कहा था कि ईडी झूठे केस बनाकर डरा धमका कर कथित शराब घोटाले में मेरा नाम भी जोड़ने का प्रयास कर रही है. इनका मुख्य उद्देश्य सरकार को बदनाम करना है. बीजेपी यहां टिक नहीं पा रही है तो ईडी का अपने अधीनस्थ संगठन की तरह दुरुपयोग कर रही है.