सभी राजनीतिक दल अपना-अपना दमखम दिखाने में जुटे है. 2024 लोकसभा चुनाव में यूपी से बीजेपी ने 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. प्रभावी दलों और लोगों को जोड़ने की रणनीति के तहत ओमप्रकाश राजभर को साथ लाने में बीजेपी को सफलता मिली है.
पूर्वांचल के कुछ ज़िले ऐसे हैं जिनमें बीजेपी खाता भी नहीं खोल सकी थी. वह ज़िले हैं- गाजीपुर, आजमगढ़ और अम्बेडकरनगर. अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बाद सुभासपा को एनडीए का साथ मिलने से बीजेपी की स्थिति पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में अब मजबूत हो जाएगी. बीजेपी की तरफ से चेहरा तैयार करने की कवायद के बावजूद ओम प्रकाश राजभर का विकल्प नहीं मिला. सत्ता और विपक्ष दोनों की भूमिका में ओपी राजभर ने बिरादरी पर पैठ बनाने का प्रयास लगातार जारी रखा. राजभरों का वोट नहीं मिलने के कारण गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़ समेत दर्जनभर जिलों में बीजेपी को करीब 25 से 30 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था 2019 के चुनाव में.
2019 चुनाव के नतीजे
बीजेपी को अंबेडकरनगर में करीब 4 लाख 68 हजार 238 वोट मिले थे, वहीं बसपा 5 लाख 64 हजार 118 मत पाकर विजयी हुई थी.
गाजीपुर में बीजेपी को 4 लाख 46 हजार 690 और बसपा को 5 लाख 66 हजरा 082 मत मिले थे.
आजमगढ़ में 6 लाख 21 हजार 578 मत सपा ने प्राप्त किया था, और बीजेपी के खाते में 3 लाख 61 हजार 704 वोट गए थे. उपचुनाव में बीजेपी की सीट पर आजमगढ़ से निरहुआ को जीत मिली थी.
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पूर्वांचल के अंबेडकरनगर, आजमगढ, मऊ, देवरिया, श्रावस्ती, बहराइच, संतकबीर नगर, बस्ती, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली आदि जिले की एक दर्जन सीटों पर राजभर समुदाय का अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है, यही कारण है की राजभर का वोट छिटकने की डर से बीजेपी ने गठबंधन का दांव चला है.
पिछले चुनाव के आकड़ों पर नजर डालने पर पता चलता है की सुभासपा का किन क्षेत्रों में क्या प्रभाव ह और राजभरों के वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने दांव चला और ओम प्रकाश राजभर को अपने साथ ले आई.