सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा मामले में मुद्दों की पड़ताल के लिए हाई कोर्ट के पूर्व तीन जजों की कमिटी बनायी है.

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस आशा मेनन और जस्टिस शालिनी पनसाकर जोशी की तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी में रहेंगी.

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सुप्रीम कोर्ट का मणिपुर हिंसा में दखल

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा मामले में बड़ी दखल दी है. मणिपुर हिंसा की जाँच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. कोर्ट ने हिंसा मामलों की जांच की निगरानी महाराष्ट्र के पूर्व IPS अफसर दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को सौंपी है.

CBI महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जाँच करेगी. निष्पक्ष और स्वतंत्र जाँच के लिए CBI में दूसरे राज्यों से DySP रैंक के 5-5 अफसर लेने का फैसला किया गया है. अन्य मामलों की पुलिस जाँच में 42 SIT बनेगी. SP रैंक के अधिकारी इसका नेतृत्व करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच

मणिपुर की जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व कमिश्नर और महाराष्ट्र के DGP दत्तात्रय पडसलगीकर की नियुक्ति की है. CJI का कहना है की सुप्रीम कोर्ट यह चाहता है की संतुलन बना रहे और जांच ठीक से हो.

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सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा के मामले में सोमवार को सुनवाई हुई. CJI चंद्रचूड़, जस्टिस पर्दीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच मणिपुर हिंसा मामले पर सुनवाई करेगी.

इस कमिटी का दायरा CJI ने कहा वो तय करेंगे. यह कमिटी राहत और पुनर्वास का जायजा लेगी वहां जा कर. CJI ने यह भी कहा की 6500 FIR की जांच CBI को सौंपना असंभव है. लेकिन, राज्य पुलिस को इसका जिम्मा नहीं सौंपा जा सकता. CJI ने यह स्पष्ट किया की जो लोग मणिपुर हिंसा में मारे गए हैं वह सभी हमारे अपने थे.