राघव चड्ढा केस में बड़ा एक्शन लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन पर राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी पर कहा है कि अदालत को यह जांचने की जरूरत है कि क्या किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है.

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आनुपातिकता का मुद्दा ये है कि क्या किसी सदस्य को निलंबित करने के लिए नियम 256 लागू किया जा सकता है.  अब राज्यसभा की तरफ से राघव चड्ढा की सारी करतूत की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी कि आखिर कैसे लोगों के बीच झूठ से पनप रहीं आम आदमी पार्टी के नेता ने संसद में भी खड़े होकर झूठ बोला.

कोर्ट ने ये नोटिस राज्यसभा कमेटी के पक्ष को जानने के लिए जारी किया है. ताकी मामले पर आगे एक्शन सही तरीके से लिया जा सके. अब मामले पर 30 अक्टूबर को सुनवाई होगी. इस दौरान राज्यसभा कमेटी अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करेगी.

राज्यसभा में 7 अगस्त को रात 10 बजे दिल्ली सर्विसेज अमेंडमेंट बिल पास किया गया था. ये वो बिल था जिसके तहत केजरीवाल की अफसरों पर तानाशाही को रोका गया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल के हाथों में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकारी आ गया.

जब मोदी सरकार ने दिल्ली सर्विसेज अमेंडमेंट बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला  पलट दिया. और एलजी के पास उनका अधिकार वापस दे दिया. मोदी सरकार के इस फैसले से केजरीवाल क्या पूरी आम आदमी पार्टी बौखला उठी. 5 सासंद इस बिल का विरोध कर है.

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राघव चड्ढा 10 अक्टूबर को सदन से अपने निलंबन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. लेकिन फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट से राघव चड्ढा को कोई राहत नहीं मिलती दिखाई दे रही है. क्योकि सुप्रीम कोर्ट ने अब  राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी कर ये जवाब मांगा की है की आखिर राघव चड्ढा के खिलाफ ये कार्रवाई कितनी जरूरी है.

कोर्ट में एक बार फिर एएसजी एसवी राजू की तरफ से कहा गया कि शराब घोटाले में मुख्य भूमिका मनीष सिसोदिया और विजय नायर है. जहां तक सिसोदिया का सवाल है वो मनी लॉन्ड्रिंग से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.  उन्होंने यह भी कहा कि साउथ ग्रुप के रिटेलर्स को रिश्वत के बदले फायदा पहुंचाया गया और उनका प्रॉफिट मार्जिन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया.

एएसजी राजू ने कहा कि यदि सबूतों से छेड़छाड़ की गई है तो ये भी जमानत खारिज किए जाने का आधार बनता है. उन्होंने कहा कि नई आबकारी नीति में बदलाव शराब बाजार में सुधार के लिए नहीं बल्कि कुछ निजी कंपनियों को अत्यधिक फायदा पहुंचाने के लिए किया गया. यानी की मनीष सिसोदिया ही इस खेल के असली खिलाड़ी है.