राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता और संस्थापक लालू प्रसाद यादव एक बार फिर पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं। उन्हें लगातार 13वीं बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। इस बार भी उनका चयन निर्विरोध हुआ, जो उनके संगठनात्मक दबदबे और पार्टी में मजबूत पकड़ को दर्शाता है। 5 जुलाई को उन्हें औपचारिक रूप से अध्यक्ष पद का प्रमाण पत्र सौंपा जाएगा। पार्टी में यह फैसला एक औपचारिक प्रक्रिया के तहत लिया गया, जहां किसी अन्य नेता ने उनके खिलाफ नामांकन नहीं भरा, जिससे यह साफ हो गया कि लालू यादव की नेतृत्व क्षमता को अब भी आरजेडी में निर्विवाद रूप से स्वीकार किया जा रहा है।
निर्विरोध हुआ चयन, कोई अन्य प्रत्याशी नहीं आया आगे
आरजेडी के राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी रामचंद्र पूर्वी ने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सोमवार दोपहर 2 बजे तक नाम वापसी की समयसीमा थी। इस दौरान सिर्फ लालू प्रसाद यादव ने ही नामांकन दाखिल किया और किसी अन्य नेता ने न तो नामांकन भरा और न ही उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ली। इसके बाद निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें औपचारिक रूप से निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। पार्टी के अंदर इसे एक स्वाभाविक और सर्वसम्मत निर्णय के तौर पर देखा जा रहा है।
5 जुलाई को होगी ताजपोशी, फिर शुरू होगा अगला कार्यकाल
रामचंद्र पूर्वी ने आगे बताया कि लालू यादव को 5 जुलाई को आरजेडी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान औपचारिक रूप से अध्यक्ष पद का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। लालू यादव वर्षों से आरजेडी का नेतृत्व करते आ रहे हैं और अब एक बार फिर वे पार्टी को आगे ले जाने की भूमिका निभाएंगे।
लालू यादव का राजनीतिक अनुभव, ज़मीनी पकड़ और बिहार की राजनीति में गहरी समझ उन्हें पार्टी के भीतर एक अडिग नेता बनाती है। कार्यकर्ताओं में उनके फिर से अध्यक्ष बनने की खबर से उत्साह है और माना जा रहा है कि इससे आगामी चुनावों की तैयारियों को और रफ्तार मिलेगी। आरजेडी के लिए यह संदेश भी साफ है कि पार्टी अब भी लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व को सबसे उपयुक्त मानती है, खासकर ऐसे समय में जब वह खुद को एक बार फिर मज़बूत विकल्प के तौर पर स्थापित करना चाहती है।