मंगलवार को नए संसद भवन में प्रवेश करने से कुछ मिनट पहले जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की आकांक्षाओं को एक हजार वर्षों में कभी नहीं देखी गई ऊंचाई तक पहुंचने की बात की, तो कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हुए संवैधानिक शासन के बारे में बुनियादी चिंताओं पर उनका ध्यान आकर्षित किया. न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की गारंटी देता है.
संविधान की आत्मा बनाने वाले अनमोल शब्द इसके अस्तित्व के पहले दिन नए संसद भवन में गूंजते रहे, जो उस राजनीतिक संदर्भ को परिभाषित करते हैं जिसमें पुराने भवन से परिवर्तन हुआ. मुख्य विपक्षी दल सरकार को याद दिलाना चाहता था कि परिवर्तन केवल स्थानीय था क्योंकि शासन सिद्धांत को संविधान के ढांचे के भीतर ही सीमित रहना था.
पीएम मोदी ने आज दिल्ली में महिला भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम कोई सामान्य कानून नहीं है. यह नए भारत की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता की घोषणा है. यह महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की मोदी की गारंटी का प्रमाण है.
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