Afghanistan food crisis

अंशिका चौहान: तालिबान पहले से और ज्यादा क्रूर होता जा रहा है.खुलेआम नरसंहार करने के साथ साथ अब अपनी आवाम को भूख से तड़पा तड़पा कर मार रहा है.पाकिस्तान से भी ज्यादा कंगाली अफगिस्तान में छा गई है.हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोग ने दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं,क्योंकि सरकार के पास आवाम के लिए कुछ नहीं बचा है.इसका एक कारण अमेरिका की बड़ी कार्रवाई भी है क्योंकि अमिरिका ने अफगान की 9.5 अरब डॉलर यानी 706 अरब रुपए की जायदाद फ्रीज कर दी थी और अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने संसाधनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.  दरअसल, IMF ने 460 मिलियन डॉलर यानी करीब 3400 करोड़ रुपये की इमरजेंसी रिजर्व तक अफगानिस्तान की पहुंच पर रोक लगा दी है. हालत इतनी ख़राब है की भूक ही मौत बन कर टूट रही है.तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा किया था.इसके बाद से मुल्क में भुखमरी जैसे हालात बने हुए हैं.

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अफगान भूखमरी में जीने को मजबूर हो रहे हैं

आलम ये है कि तालिबान सरकार को मजदूरों को पारिश्रमिक के तौर पर रुपए की जगह गेहूं देने के लिए विवश होना पड़ रहा है.अफगानिस्तान, जो कि पहले से ही गरीबी, सूखे, बिजली के ब्लैकआउट और एक असफल आर्थिक प्रणाली से जूझ रहा है.अब उसको कड़ाके की ठंड का भी सामना करना पड़ रहा है. तालिबान काम के बदले भोजन योजना उन मजदूरों को भुगतान नहीं करेगी जो वर्तमान में बेरोजगार हैं उन्हें सर्दियों के दौरान भुखमरी का सबसे अधिक खतरा है.

अफगानों को संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी

UN यानि संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि देश में जल्द ही भूख और गरीबी का राज होगा.इसके साथ ही सामाजिक व्यवस्था भी चरमरा जाएगी संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सरकार पूरी तरह से बिखर जाएगी.बता दें अगर इस देश को आर्थिक मदद नहीं मिली तो लाखों अफगान नागरिक गरीबी और भूख में जीने को मजबूर हो जाएंगे. UN ने ये तक कह दिया है की अफगानिस्तान में कम से कम 10 लाख बच्चे इस साल गंभीर कुपोषण से पीड़ित होंगे और उचित उपचार के बिना उनकी मृत्यु हो सकती है और ये बात सही साबित भी हो रही है.अफगानिस्तान में भुकमरी की हालत गंभीर है और अगर इसे अभी नहीं संभाला गया तो आने वाले दिन और भी खतरनाक हो जाएंगे.