आज लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल को लेकर चर्चा होगी. विपक्ष के हंगामे के वजह से कल चर्चा हो नहीं सकी थी. सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था.
ओम बिरला ने कहा कि जब तक संसद में गतिरोध खत्म नहीं हो जाता और विपक्ष हंगामा करना नहीं बंद करता, तब तक वह स्पीकर की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. ऐसे में ओम बिरला की जगह आंध्र प्रदेश के राजमपेट से सांसद पीवी मिधुन रेड्डी ने लोकसभा की कार्यवाही संभाली.
आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल के पेश होने को लेकर एक बड़ा बयान दिया है.
राघव चड्ढा ने कहा है की दिल्लीवाले सीएम अरविंद केजरीवाल से बहुत प्यार करते हैं. इसलिए ही 10 साल से उन्हें हर बार वोट देते आए हैं. ये राष्ट्र विरोधी बिल है, जो इस बिल के समर्थन करेंगे, देश उन्हें राष्ट्र विरोधी के नाम से याद रखेगा. हम देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए ये लड़ाई लड़ेंगे.
सजय सिंह को उनकी हरकतो के वजह से पुरे सत्र के लिए निष्कासिक कर दिया गया है. उन्होंने कहा है की संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है. राज्यसभा में यह बिल गिर जाएगा. संजय राज्यसभा में विधेयक के विरोध में मतदान करने वाले दलों के पास पर्याप्त संख्या बल है. दिल्ली अध्यादेश विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले, संविधान और देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है.
क्या है सेक्शन 45-D?
वैसे तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक में अध्यादेश के लगभग सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल किया गया है, लेकिन अब इसमें से अध्यादेश की धारा-3(A) को हटा दिया है, जिसके तहत कुछ अतिरिक्त प्रावधान करके दिल्ली विधानसभा की कानून पास करने की शक्तियों को सीमित किया गया था.
बिल में किए गए नए प्रावधानों में सेक्शन 45-डी सबसे अहम है. इसमें कहा गया है कि संसद में पास किए गए कानून के आधार पर या उसके अनुपालन में दिल्ली में गठित किए गए किसी भी बोर्ड, अथॉरिटी, कमीशन या अन्य वैधानिक निकायों के अध्यक्ष, चेयरमैन या सदस्य की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाएगी.
सेक्शन 45-डी के शामिल होने से सभी प्रमुख बोर्ड, आयोग, प्राधिकरणों में नियुक्ति का अधिकार भी सीधे तौर पर एलजी के माध्यम से केंद्र सरकार के हाथ में आ जाएगा, क्योंकि इनमें नियुक्तियां राष्ट्रपति के माध्यम से की जाएंगी.