आज हम बात करेंगे कांग्रेस पार्टी के अंदर छिपे दो अलग-अलग रंगों की—जहां एक ओर शशि थरूर ने अमेरिका दौरे के दौरान भारत की सशक्त छवि पेश की, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग और देश की संस्थाओं पर सवाल उठाते हुए विवादों में घिरे हुए हैं। कांग्रेस की यह दोहरी छवि अब पूरी दुनिया के सामने आ गई है और इससे पार्टी के भीतर की अस्थिरता साफ झलक रही है।

शशि थरूर ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान एक कविता के माध्यम से भारत की ताकत और संकल्प को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भारत ने जो भी किया, वह देश के हित में किया और अब पूरी दुनिया उसकी सच्चाई को समझ रही है। थरूर ने न केवल ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की तारीफ की, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि के रूप में मान्यता दी। उनकी बातों से यह जाहिर होता है कि कांग्रेस के भीतर भी देश की प्रतिष्ठा को लेकर सकारात्मक सोच मौजूद है।

वहीं, राहुल गांधी का राजनीतिक बयानबाजी का स्वरूप बिलकुल अलग है। उन्होंने बार-बार चुनाव आयोग और विभिन्न संस्थाओं को संदिग्ध बताया, जिससे उनकी छवि पर सवाल उठे हैं। हाल ही में राहुल गांधी द्वारा चुनावों को लेकर ‘मैच फिक्सिंग’ जैसे आरोप लगाने पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेंगलुरु में हुई भगदड़ की घटना को लेकर स्पष्ट कहा कि इसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने वाले अधिकारियों की है। उन्होंने अपनी भूमिका को सीमित बताया और दिल्ली जाकर पार्टी के आलाकमान को रिपोर्ट सौंपने का भी ऐलान किया है।

कांग्रेस के भीतर इन दो मुखर आवाज़ों के बीच बढ़ता विवाद पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को और गहरा कर रहा है। जहां थरूर का संदेश देशभक्ति और सकारात्मकता का है, वहीं राहुल गांधी के बयानों से पार्टी की छवि पर छाया सवाल उठता है। इस वक्त कांग्रेस को अपने नेतृत्व और दिशा को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।