मुंबई मीटिंग से पहल जिस तरह का घमासान विपक्षी गठबंधन में मचा है. उससे कयास यही लगाए जा रहे हैं कि मुंबई की मीटिंग में कोई बड़ा बवाल देखने को मिल सकता है. मुंबई की बैठक में संयोजक के नाम पर मुहर लग सकती है. और इस बार मीटिंग में वो दो दल आमने सामने होंगे.
23 जून को पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई थी. जिसकी अगुवाई नीतीश कुमार ने की थी. इसमें केजरीवाल मीटिंग छोड़कर भाग गए थे. फिर पिछले दिनों जब बैंगलूरु में बैठक हुई थी. तो नीतीश कुमार को मीटिंग से गायब हो गए थे. टीएमसी ने तो पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर ममता बनर्जी के नाम की घोषणा तक करदी है.
जिससे विपक्षी गठबंधन में खलबली मची हुई थी. इस पर चार चांद कांग्रेस पार्टी ने तब लगा दिए जब कांग्रेस नेता अलका लांबा ने अपने बयान में इस बात का खुलासा कर दिया कि दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. भले ही औपचारिक तौर पर आप विपक्षी गठबंधन इंडिया से अलग नहीं हुई है.
लेकिन जिस तरह से अब अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के धोखे का बदला ले रहे हैं. वो सीधे तौर पर गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक में बवाल की ओर इशारा कर रहा है. कांग्रेस ने दोस्ती के रूप में केजरीवाल को धोखा देकर अपनी दुश्मनी निभाई है और अब केजरीवाल भी बाकी राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलकर उस धोखे का बदला लेने लगे हैं. कांग्रेस ने जहां दिल्ली में सात सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया. तो नहीं छत्तीसगढ़ में आप ने केजरीवाल की 10 गारंटियों को लॉंच कर दिया.
बीजेपी की ओर से लगातार शरद पवार को मनाने की कोशिश जारी है. जिसके लिए उन्हें, उनकी बेटी सुप्रीया सुले और पार्टी नेता जयंत पाटिल को ऑफर दिए जा रहे हैं. हालांकि, शरद पवार की ओर से बीजेपी के ऑफर को ठुकराने की बात सामने आई है. लेकिन कांग्रेस शरद पवार पर भरोसा नहीं कर पा रही है. माना तो यही जा रहा है कि पवार जल्द ही अजित पवार के साथ बीजेपी शिंदे और एनसीपी की सरकार में शामिल हो सकते हैं.