बिहार के दरभंगा में प्रस्तावित एम्स के निर्माण को लेकर शनिवार 12 अगस्त को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला.

पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय पंचायती राज परिषद की बैठक को संबोधित करने के दौरान दरभंगा में एम्स खोले जाने का जिक्र किया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में पंचायती राज परिषद को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते ये बयान शनिवार को दिया था. जिसमें दरभंगा में AIIMS बन जाने की बात कही गई थी. दरभंगा AIIMS को लेकर बिहार सरकार की ओर से दी गई इक्यावन151 एकड़ जमीन को केंद्र सरकार की टीम ने रिजेक्ट कर दिया है.

तेजस्वी यादव ने त्वीट कर केंद्र पर साधा निशाना

तेजस्वी यादव ने त्वीट कर लिखा की सरकार ने निशुल्क 151 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को एम्स निर्माण के लिए दी है. साथ ही 250 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की मिट्टी भराई के लिए आवंटित की है. दुर्भाग्य से राजनीति करते हुए केंद्र सरकार ने प्रस्तावित एम्स के निर्माण को स्वीकृति नहीं दी.

तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा था कि आज प्रधानमंत्री जी दरभंगा में AIIMS खुलवाने का झूठा श्रेय ले रहे थे. वस्तुस्थिति ये है कि बिहार सरकार ने निःशुल्क 151 एकड़ ज़मीन केंद्र को इसकी स्थापना के लिए दिया है और साथ ही 250 करोड़ से अधिक मिट्टी भराई के लिए आवंटित किया लेकिन दुर्भाग्यवश राजनीति करते हुए केंद्र ने प्रस्तावित AIIMS के निर्माण को स्वीकृति नहीं दी.

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स्वस्थ मंत्री मनसुख मंदाविया का पलटवार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने तेजस्वी यादव पर पलटवार किया. उनके आरोपों का जवाब देते हुए मनसुख मंडाविया ने कहा कि मोदी सरकार विकास में राजनीति नहीं करती, बल्कि विकास की राजनीति करती है. दरभंगा एम्स की अनुमति मोदी सरकार ने 19 सितंबर 2020 को दी और बिहार सरकार ने 3 नवंबर 2021 को पहली जमीन दी.

तेजस्वी पर पलटवार करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के सचिव राजेश भूषण का बिहार सरकार को लिखा वो पत्र भी साझा किया है. जिसमें केंद्र सरकार ने बिहार सरकार से कहा था कि जो जमीन उपलब्ध कराई गई है, वो निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है. इसके बाद आग्रह किया था कि एम्स के निर्माण के लिए दरभंगा में कहीं और जमीन दी जाए.