दिल्ली पुलिस ने मीडिया संस्थान ‘Newsclick’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और HR हेड अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया है. संस्थान से जुड़े बाकी तथाकथित पत्रकारों अभिसार शर्मा, उर्मिलेश और परंजॉय गुहा ठाकुरता से भी पूछताछ की गई.

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इसका खुलासा किसी भारतीय मीडिया संस्थान ने नहीं, बल्कि अमेरिकी अख़बार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने किया. आरोप साफ़ हैं – चीन के अजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस मीडिया पोर्टल को 38 करोड़ रुपए की फंडिंग की गई. सबसे बड़ी बात, मामला अवैध लेनदेन का है, मनी लॉन्ड्रिंग का है.

‘Newsclick’ का चीनी प्रोपेगंडा

असल में प्रबीर और सिंघम के बीच यही बातचीत हो रही थी कि भारत-चीन सीमा विवाद को कैसे रिपोर्ट किया जाए. उत्तर-पूर्वी राज्यों पर चीन अपना दावा ठोकता रहा है. भारत में बैठे उसके दलाल चीन के लिए माहौल बनाते हैं.

‘न्यूज़क्लिक’ पर छपेमारी के बाद मीडिया गिरोह रोने लगा. गिरोह, मतलब चंद लोग जो 2014 से पहले निर्धारित करते थे कि देश में किस चीज की चर्चा होगी, किस एंगल से होगी और कौन सा नैरेटिव चलेगा. इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल तक यही गिरोह निर्धारित करता था.

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रोहिणी सिंह को जानना चाहिए कि अपराध पत्रकारिता नहीं, बल्कि देश से गद्दारी है. पत्रकारों की तो छोड़ दीजिए, पत्रकारों के संगठनों तक ने इस मामले में ‘न्यूजक्लिक’ के समर्थक में घोड़े खोल दिए. ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI)’ का उदाहरण ले लीजिए. उसने छापेमारी के दौरान ही ‘न्यूज़क्लिक’ के साथ खड़े होने का ऐलान कर दिया. PCI में आनन-फानन में बैठक बुलाई गई. फिर अगले दिन बड़ी संख्या में पत्रकारों को जुटाया गया और विरोध प्रदर्शन किया गया.

आम पत्रकार ने निकाली हेकड़ी

जब ये पूरा नाटक चल रहा था तो इस दौरान एक पत्रकार ने PCI में ही इन्हें आईना दिखा दिया. उस पत्रकार का नाम है– सागर मलिक. सागर मलिक अकेले ‘चीन के दलालों को जेल भेजो’ वाला बैनर लेकर गिरोह विशेष के पत्रकारों की भीड़ में पहुँच गए.

सागर मलिक का कहना है कि जब बात मेरे देश की आएगी तो मैं ऐसे दलाल पत्रकारों को जवाब अवश्य दूँगा. मेरा सवाल केवल इतना था कि चीन से पैसा लिया क्यों? अगर आप राष्ट्रवादी पत्रकार हैं तो चीन से पैसा लिया क्यों? अगर मेरे इस सवाल का जवाब ये पत्तलकार दे दें, तो मैं आगे की बात करूँ.