आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या शशि थरूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देने जा रहे हैं कोई बड़ी जिम्मेदारी? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि देश की राजनीति अब 2024 से आगे बढ़कर 2029 की जमीन तैयार करने की दिशा में बढ़ चुकी है। शशि थरूर, जो विदेश नीति, कूटनीति और वैश्विक प्रतिष्ठा जैसे मामलों में एक अनुभवी और सम्मानित चेहरा माने जाते हैं, मोदी सरकार के लिए एक सॉफ्ट स्पोक्सपर्सन बन सकते हैं।

चर्चा यह भी है कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र या विदेश नीति से जुड़ी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि थरूर को राज्यसभा के माध्यम से केंद्र में लाया जा सकता है। राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता, और थरूर जैसे वैश्विक व्यक्तित्व के लिए यह कदम कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

जब से शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान की पोल खोल कर भारत की प्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय मंच पर मज़बूत की है, तब से यह चर्चा और तेज़ हो गई है कि क्या वे अब कांग्रेस में असहज महसूस कर रहे हैं? क्या वे विचारधारा से हटकर राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने लगे हैं?

इन सवालों के जवाब अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन घटनाओं की कड़ियों को जोड़ें तो लगता है कि 2029 की स्क्रिप्ट कहीं न कहीं लिखी जा रही है और थरूर उसमें एक अहम किरदार बन सकते हैं।

अगर पीएम मोदी के साथ कोई ऐसा ग्लोबल फिगर या देशभक्त चेहरा आ जाए, तो यह विपक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। साथ ही, यह भारत की वैश्विक छवि को और मज़बूती देगा। थरूर की छवि एक ऐसे नेता की है जो वैश्विक मंचों पर भारत की बात दमदारी से रख सकते हैं।

तो क्या मोदी सरकार उन्हें अपने साथ जोड़कर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलने जा रही है? या थरूर स्वयं इस दिशा में कोई सोच विकसित कर रहे हैं?