भारत की कड़ी नीति और सिंधु जल समझौते पर रोक का असर अब पाकिस्तान की ज़मीनी हकीकत में साफ तौर पर नज़र आने लगा है। पानी की भारी कमी ने पड़ोसी देश को मुश्किल में डाल दिया है—जहां एक ओर खेत सूख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आम लोग पहले से ही खाद्य संकट से जूझ रहे हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि खरीफ की फसलों की बुआई भी नहीं हो पा रही है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर जल्द हालात नहीं सुधरे, तो पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर भूखमरी का सामना करना पड़ सकता है।
भारत का ये सख्त फैसला तब आया जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इसके जवाब में भारत ने दशकों पुराने सिंधु जल समझौते पर रोक लगाने का निर्णय लिया। यह समझौता 1960 से लागू था, जिसके तहत भारत कुछ प्रमुख नदियों का पानी पाकिस्तान को बहने देता रहा है। लेकिन अब, इस फैसले के बाद पाकिस्तान को मिलने वाली जल आपूर्ति में भारी कटौती हो गई है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने बढ़ाया दबाव
इस बीच भारत ने 7-8 मई के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के अंदर 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों में ब्रह्मोस और आकाश जैसी उन्नत मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ। भारत की इस सैन्य कार्रवाई ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक और सामरिक दोनों स्तरों पर दबाव बढ़ा दिया। हालांकि पाकिस्तान ने जवाबी हमले की कोशिश की, लेकिन भारत की रक्षा प्रणाली ने किसी भी नुकसान को रोक लिया। इसके बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा की गई।
सूखे की कगार पर पाकिस्तान, लोगों में बढ़ती बेचैनी
अब पाकिस्तान में हालात और खराब होते जा रहे हैं। नदियों का जलस्तर गिर रहा है, बांधों में पानी नहीं बचा, और खेत बंजर हो रहे हैं। किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी नहीं है, और बाजारों में अनाज की कमी महसूस होने लगी है। हालात ऐसे हैं कि अगर यह संकट लंबा चला, तो आम जनता को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो सकता है।
भारत के इस रुख ने पाकिस्तान को सिर्फ रणनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ा झटका दिया है। जल संकट ने वहां की नीतियों और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान इससे कैसे निपटता है।