उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 53वां जन्मदिन कल मनाया गया, लेकिन यह दिन केवल एक व्यक्तिगत उत्सव बनकर नहीं रह गया। यह अवसर दो प्रतीकों का संगम बन गया—अयोध्या में धार्मिक आस्था का भव्य उत्सव और संभल में कानून की सख्ती का सार्वजनिक उदाहरण। एक ओर मुख्यमंत्री की गहरी आस्था नजर आई, तो दूसरी ओर उनके प्रशासन की स्पष्ट और निर्णायक कार्रवाई। योगी आदित्यनाथ ने अपने जन्मदिवस पर यह संदेश दिया कि ‘रामराज्य’ केवल पूजा-पाठ या परंपरा नहीं, बल्कि न्याय, नीति और कानून का पालन भी है।

अयोध्या में हुए वैदिक आयोजन के दौरान योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, भक्त हनुमान और गुरु वशिष्ठ की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न करवाई। इस समारोह ने न केवल धार्मिक महत्व को रेखांकित किया, बल्कि यह सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक बन गया। यह वह क्षण था जब भगवान राम केवल मंदिर में नहीं, राजा के रूप में अपने दरबार में विराजमान हुए।

संभल में बुलडोजर की कार्रवाई

उसी दिन, जब अयोध्या में आध्यात्मिक भक्ति की ध्वनि गूंज रही थी, योगी सरकार ने यह भी दिखाया कि उसके लिए कानून सर्वोपरि है। संभल जिले में रेलवे क्रॉसिंग के पास एक कब्रिस्तान की आड़ में लगभग दस बीघा जमीन पर अवैध प्लॉटिंग की जा रही थी। बिना किसी सरकारी अनुमति और वैध दस्तावेजों के हो रहे इस कब्जे पर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। बुलडोजर चला और अवैध निर्माण को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।

रामराज्य का असली अर्थ

रामराज्य की अवधारणा में केवल पूजा नहीं, बल्कि नीति और न्याय का भी स्थान है। योगी आदित्यनाथ ने कल अपने जन्मदिन पर यह स्पष्ट कर दिया कि वे आस्था के साथ-साथ प्रशासनिक जिम्मेदारियों को भी पूरी निष्ठा से निभाते हैं। अयोध्या में धार्मिक दायित्व निभाकर जहां उन्होंने अपने सिद्धांतों को दिखाया, वहीं संभल में कानून की रक्षा कर यह साबित किया कि प्रशासन की नजर में हर अवैध कब्जा समान होता है—चाहे वह किसी धर्मस्थल के नाम पर क्यों न हो।

लोगों के सवालों के बीच यह संदेश साफ है—योगी सरकार का सिद्धांत है: “जहां कब्जा, वहां कार्रवाई”, और कानून सबके लिए एक समान है।