देश की बेटियां अब हर ऊंचाई को छू रही हैं और हर क्षेत्र में नया इतिहास रच रही हैं। ऐसा ही इतिहास रचा है फ्लाइट लेफ्टिनेंट यशस्वी सोलंकी ने, जो राष्ट्रपति की पहली महिला एड-डी-कैंप (ADC) बन गई हैं। शिक्षक पिता की बेटी यशस्वी ने न सिर्फ भारतीय नौसेना में अपनी जगह बनाई बल्कि अब राष्ट्रपति की सबसे नजदीकी सैन्य सहायक के रूप में चुनी गई हैं।
यशस्वी सोलंकी मूल रूप से हरियाणा के चरखी दादरी जिले की रहने वाली हैं। उनका पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ जहां उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मां गृहिणी। यशस्वी ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से पढ़ाई की और पढ़ाई के साथ-साथ देश की सेवा का सपना भी संजोए रखा। उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ट्रेनिंग ली और 2012 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत नौसेना की लॉजिस्टिक ब्रांच में शामिल हुईं।
सेवा भावना से हासिल किया गौरवपूर्ण पद
कई वर्षों की कड़ी मेहनत, समर्पण और अनुशासन के बाद यशस्वी ने वह मुकाम हासिल किया, जहां तक अब तक केवल पुरुष अधिकारी ही पहुंचते रहे हैं। राष्ट्रपति भवन में 9 मई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें आधिकारिक रूप से नियुक्त किया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट यशस्वी सोलंकी अब राष्ट्रपति की साए की तरह उनके साथ रहेंगी, उनके शेड्यूल, बैठकों और विदेश दौरों में सहयोग करेंगी।
ADC पद की जिम्मेदारी और चयन प्रक्रिया
ADC यानी एड-डी-कैंप राष्ट्रपति के सबसे करीबी सैन्य सहायक होते हैं। देश के राष्ट्रपति को कुल पांच ADC नियुक्त किए जाते हैं — जिनमें तीन थल सेना, एक वायुसेना और एक नौसेना से होता है। यह पद प्रतिष्ठित और अत्यंत जिम्मेदारी से भरा होता है। ADC राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल, औपचारिक कार्यक्रमों, अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालते हैं।
ADC बनने के लिए एक युवा सैन्य अफसर को बेहतरीन सेवा रिकॉर्ड, नेतृत्व क्षमता और ऑपरेशनल परफॉर्मेंस जैसे मापदंडों पर खरा उतरना होता है। यह सम्मान उन अफसरों को मिलता है जो कम से कम 5 वर्षों तक देश की सेवा कर चुके होते हैं। यशस्वी सोलंकी ने इन सभी कसौटियों को पार कर इस पद पर इतिहास रच दिया।