ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद पश्चिम एशिया में भूचाल आ गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले से पहले इजरायल को इसकी जानकारी दी थी और बाद में प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बातचीत कर उन्हें विश्वास में भी लिया। अब यह लड़ाई सिर्फ ईरान और इजरायल के बीच सीमित नहीं रही, बल्कि सीधे तौर पर अमेरिका और ईरान के बीच शक्ति प्रदर्शन में तब्दील होती दिख रही है। अमेरिका ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने पलटवार किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वहीं इजरायल ने भी अमेरिका के समर्थन के लिए ट्रंप का आभार जताया है।

ट्रंप के आदेश पर ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइटों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—को निशाना बनाया गया। इस हमले के बाद ट्रंप ने बयान जारी कर कहा कि उन्होंने पहले ही इजरायल को इसके बारे में जानकारी दी थी और यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ज़रूरी था। इस बीच नेतन्याहू ने भी खुलासा किया कि ट्रंप ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर ऑपरेशन की जानकारी दी थी।

ईरान ने अमेरिका पर लगाया बातचीत तोड़ने का आरोप

हमले के बाद ईरान ने अमेरिका पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने कहा कि जब वे अमेरिका के साथ बातचीत की प्रक्रिया में थे, तभी इजरायल ने हमला किया और अब जब यूरोप से वार्ता चल रही थी, तो अमेरिका ने खुद हमला कर सबकुछ खत्म कर दिया। उनका आरोप है कि अमेरिका वास्तव में बातचीत नहीं, बल्कि टकराव चाहता है।

जंग का रुख अब बदलता दिख रहा है

पश्चिम एशिया के इस तनावपूर्ण हालात में यह साफ होता जा रहा है कि अब जंग का केंद्र सिर्फ इजरायल-ईरान नहीं, बल्कि अमेरिका और ईरान बन चुके हैं। अमेरिकी नेतृत्व और सैन्य कार्रवाई से यह संदेश गया है कि ट्रंप सिर्फ चेतावनी नहीं दे रहे, बल्कि वह इस बार रणनीतिक मोर्चे पर पूरी तैयारी के साथ उतरे हैं। ईरान की प्रतिक्रिया और उसका अगला कदम इस पूरे संकट को किस दिशा में ले जाएगा, इस पर अब पूरी दुनिया की नजर है।