ईरान-इजरायल युद्ध के बीच अमेरिका की खुली एंट्री ने पश्चिम एशिया की राजनीतिक और सैन्य स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर हमले हुए, वहीं पाकिस्तान की अप्रत्याशित प्रतिक्रिया ने कूटनीतिक समीकरणों को उलझा दिया है। चीन का दबाव, पाक-अमेरिका के बीच नई बातचीत, इजरायल को अमेरिकी मिसाइलों की आपूर्ति और मिडिल ईस्ट में सैन्य जमावड़ा—ये सब संकेत दे रहे हैं कि अमेरिका अब सिर्फ एक सहयोगी नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाने की तैयारी में है।
अमेरिका-पाकिस्तान समीकरण और चीन का दबाव
18 जून को वॉशिंगटन में पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान अमेरिका का साथ देगा। लेकिन अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हमलों की पाकिस्तान ने निंदा की और तेहरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान ने यह स्टैंड चीन के दबाव में लिया है, क्योंकि चीन ईरान का प्रमुख रणनीतिक साझेदार है। इस घटना के बाद अमेरिका-पाक गठजोड़ की संभावनाओं पर सवाल उठने लगे हैं, जबकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका पाकिस्तान को एक बार फिर रणनीतिक मोहरे के तौर पर उपयोग करना चाहता है, खासकर नूर खान एयरबेस जैसे ठिकानों को लेकर।
इजरायल को अमेरिकी हथियार और बढ़ती सैन्य तैनाती
अमेरिका ने इजरायल को 300 AGM-114 हेलफायर मिसाइलें गुपचुप भेजीं, जिनका उपयोग ईरान के नतांज और फोर्डो परमाणु ठिकानों पर किया गया। ये मिसाइलें टैंकों, बंकरों और उच्च-मूल्य लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं। वहीं अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य मौजूदगी और भी मजबूत कर दी है—यूएसएस निमित्ज कैरियर, डिएगो गार्सिया बेस, और कई रिफ्यूलिंग टैंकरों के साथ-साथ F-15E और F-22 जैसे स्टील्थ फाइटर अब सक्रिय हो चुके हैं।
ईरान भी पीछे नहीं हटा है। उसने खैबर शेकन मिसाइलों का प्रयोग कर पहली बार इजरायल पर हमला किया और अपने बंकरों से हथियार बाहर निकाल लिए हैं। ईरान ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका खुलकर युद्ध में उतरा, तो कतर, बहरीन और यूएई स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने उसके निशाने पर होंगे। इस पूरे घटनाक्रम में ट्रंप एक तरफ कूटनीति की बात कर रहे हैं, वहीं गुपचुप सैन्य समर्थन से इजरायल को बल भी दे रहे हैं। यह रणनीति दिखाती है कि अमेरिका पश्चिम एशिया में एकतरफा दबदबा कायम करने की ओर बढ़ रहा है।