केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों को लेकर एक अहम और बड़ा कदम उठाया है, जिसकी चर्चा मुस्लिम समुदाय के बीच तेज़ी से हो रही है। सरकार ‘उम्मीद’ नाम से एक डिजिटल पोर्टल लॉन्च करने जा रही है, जिसके ज़रिए देशभर की वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इस पहल से संपत्तियों के रिकॉर्ड में पारदर्शिता आएगी और उनके दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन के लिए छह महीने की समय-सीमा तय की गई है, यानी वक्फ से जुड़ी हर ज़मीन और संपत्ति को तय समय में इस पोर्टल पर दर्ज कराना ज़रूरी होगा।यह फैसला वक्फ ट्रस्टों और उनसे जुड़ी संस्थाओं के लिए अहम बदलाव लेकर आया है। लंबे समय से वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे, झगड़े और ट्रांसफर जैसे मामलों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि इन संपत्तियों की सही जानकारी सरकारी रिकॉर्ड में नहीं होती, जिससे पारदर्शिता की कमी रहती है। सरकार को उम्मीद है कि ‘उम्मीद’ पोर्टल इन सभी समस्याओं का डिजिटल समाधान बन सकता है।

हर संपत्ति की जानकारी अब ऑनलाइन अनिवार्य

नए नियम के मुताबिक, अब वक्फ बोर्ड से जुड़ी हर संस्था को अपनी संपत्तियों की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। यह प्रक्रिया छह महीनों के भीतर पूरी करनी अनिवार्य है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी वक्फ संपत्ति बिना सरकारी जानकारी या मंजूरी के न बेची जा सके और न ही स्थानांतरित हो।

पारदर्शिता और जवाबदेही का भरोसा

सरकार का दावा है कि ‘उम्मीद’ पोर्टल सिर्फ एक डिजिटल प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि एक निगरानी तंत्र भी होगा। इसके ज़रिए हर संपत्ति के स्वामित्व, किराए, उपयोग और किसी भी विवाद की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी। यह पोर्टल आम लोगों और अधिकारियों दोनों के लिए उपलब्ध रहेगा, ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी संपत्ति से जुड़ी जानकारी आसानी से देखी जा सके।

इस पहल को लेकर जहां एक तरफ सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर इसका राजनीतिक और सामाजिक असर भी चर्चा में है। वक्फ संपत्तियों की निगरानी मजबूत होने से उनका सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सकेगा, जो लंबे समय से एक बड़ी चुनौती बना हुआ था।