रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए शुक्रवार को अलास्का में होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शिखर वार्ता से पहले यूरोपीय संघ (ईयू) ने सख्त रुख अपनाया है। हंगरी को छोड़कर सभी यूरोपीय नेताओं ने कहा है कि यूक्रेन को अपना भविष्य तय करने की आजादी मिलनी चाहिए और शांति वार्ता में उसकी भागीदारी अनिवार्य है। यह बयान यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है।
यूरोपीय संघ के 27 में से 26 नेताओं ने मंगलवार को एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, “यूक्रेन में शांति का मार्ग यूक्रेन के बिना तय नहीं किया जा सकता।” बयान में अंतरराष्ट्रीय कानून, स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का सम्मान करने की बात कही गई। नेताओं ने जोर दिया कि सार्थक बातचीत केवल युद्धविराम के संदर्भ में होनी चाहिए और यूक्रेन-यूरोप के सुरक्षा हितों की रक्षा होनी चाहिए। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने इस बयान का समर्थन नहीं किया।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने चेतावनी दी कि मास्को पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “पुतिन युद्धविराम की तैयारी नहीं कर रहे, बल्कि सैन्य तैयारियों में जुटे हैं।” जेलेंस्की ने शांति वार्ता में यूक्रेन की अनिवार्य भागीदारी पर जोर दिया। दूसरी ओर, ट्रंप ने क्षेत्रों की अदला-बदली के विचार का जिक्र किया, लेकिन इसे “उचित समझौता” बताया और यूक्रेन को उसका हिस्सा वापस दिलाने की बात कही।
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने कहा, “यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा के लिए कीव को वार्ता में शामिल करना जरूरी है।” यह बयान उस समय आया जब ट्रंप ने कहा कि वह पुतिन के साथ “अनुभव-आधारित बैठक” करेंगे और नतीजों को यूरोपीय नेताओं व जेलेंस्की के साथ साझा करेंगे।
यूरोप और यूक्रेन को डर है कि ट्रंप-पुतिन की वार्ता में यूक्रेन की सहमति के बिना समझौता हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय अखंडता खतरे में पड़ सकती है। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने उम्मीद जताई कि जेलेंस्की वार्ता में शामिल होंगे।
यह वार्ता रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन यूरोपीय नेताओं का सख्त रुख और जेलेंस्की की चेतावनी ने इसकी जटिलताओं को उजागर किया है। आने वाले दिनों में इस बैठक के नतीजे वैश्विक कूटनीति को प्रभावित कर सकते हैं।