अमेरिका से जो खबरें आ रही हैं वो सारी दुनिया के लिए बहुत ही चिंता का विषय हैं। ईरान के परमाणु ठिकानों को बर्बाद करने की डोनाल्ड ट्रंप की चाहत इतनी बढ़ गई है कि उन्होंने एक बार फिर पाकिस्तान को मोहरे के तौर पर चुन लिया है। ट्रंप ने भले ही अपने पहले कार्यकाल में कहा था कि वह अमेरिका को युद्ध में नहीं झोंकेंगे, लेकिन अब वह पेंटागन और डीप स्टेट के सामने झुक चुके हैं और ईरान को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं। पाकिस्तान की सीमा ईरान से लगती है और अमेरिका के पास नूर खान जैसे एयरबेस हैं, जिन्हें इस मिशन में उपयोग करने की तैयारी है।

ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मुनीर को अमेरिका बुलाकर साफ कह दिया कि जैसे पहले पाकिस्तान ने आतंकियों को समर्थन दिया था, वैसे ही अब ईरान के खिलाफ अमेरिका की मदद करनी होगी। ट्रंप ने मुनीर से कहा कि उन्हें ईरान को खत्म करने और खुमैनी की हत्या में अमेरिका का साथ देना होगा। इसके बदले में ट्रंप ने पाकिस्तान को बड़ी सौगातें देने की पेशकश की है, जिसमें अमेरिकी रक्षा तकनीक, फिफ्थ जनरेशन स्टेल्थ जेट्स, मिसाइल सिस्टम और भारी आर्थिक सहायता शामिल है।

ट्रंप की नई नीति से बिगड़ेगा शक्ति संतुलन

ट्रंप ने मुनीर को चीन और रूस से दूरी बनाने की शर्त भी रखी है और कहा है कि पाकिस्तान अमेरिका के खेमे में लौट आए। इतना ही नहीं, ट्रंप ने कश्मीर, आतंकवाद और सिंधु जल संधि जैसे मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव भी फिर दोहराया है। यह भारत के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि ट्रंप अब दक्षिण एशिया में पाकिस्तान को पूरी तरह से समर्थन देने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

अगर पाकिस्तान को अमेरिकी फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट्स और मिसाइल सिस्टम मिलते हैं, तो भारत-पाक के बीच शक्ति संतुलन पूरी तरह से बदल जाएगा। ट्रंप के इस पागलपन से दक्षिण एशिया एक बार फिर आतंक की आग में झोंका जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि अब “एक्ट ऑफ टेरर” भारत के लिए “एक्ट ऑफ वॉर” होगा। ऐसे में भारत को अपनी सुरक्षा तैयारियों को तत्काल मजबूत करने की आवश्यकता है।