व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगामी दो हफ्तों के भीतर यह फैसला करेंगे कि क्या ईरान पर सैन्य हमला किया जाए या नहीं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने यह समयसीमा उस समय पेश की जब ईरान और अमेरिका के बीच तनाव अपने आठवें दिन में प्रवेश कर चुका है।

हालांकि कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप द्वारा दी गई यह दो हफ्ते की समयसीमा कोई नया संकेत नहीं देती, क्योंकि ट्रंप पहले भी कई बार इसी तरह की समयसीमा दे चुके हैं। बुधवार को कैरोलिन ने कहा, “ईरान के पास एक परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी सब कुछ मौजूद है। उन्हें केवल सर्वोच्च नेता के निर्णय की आवश्यकता है, और उस निर्णय के बाद यह हथियार बनाने में कुछ ही सप्ताह लगेंगे।”

कुछ व्हाइट हाउस सूत्रों को उम्मीद है कि इज़राइल द्वारा ईरान पर किए जा रहे लगातार मिसाइल हमलों के चलते तेहरान कूटनीतिक बातचीत की मेज पर लौट सकता है और वहां कोई समझौता संभव हो सकता है। खास बात यह है कि ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के विदेश मंत्री आज (20 जून) जेनेवा जा रहे हैं जहां वे ईरानी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने कहा, “अब हमारे पास अगले दो हफ्तों का एक मौका है, जिसमें कूटनीतिक समाधान निकाला जा सकता है।”

इज़राइल का अलग रुख: “हम अपने लक्ष्य खुद हासिल करेंगे”

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तय की गई दो हफ्ते की समयसीमा इज़राइल के दृष्टिकोण से मेल नहीं खाती। इज़राइल लंबे समय से ट्रंप पर दबाव बना रहा है कि वह हमले में शामिल हों। इस पर इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इज़राइल के कान ब्रॉडकास्टर से बातचीत में कहा कि उनका अभियान “समय से पहले” चल रहा है। उन्होंने कहा, “हम अपने सभी लक्ष्य हासिल करेंगे और ईरान की सभी परमाणु सुविधाओं पर प्रहार करेंगे। हमारे पास यह क्षमता है… ट्रंप इसमें शामिल होना चाहें या नहीं – यह उनका फैसला है।”

इज़राइली रक्षा मंत्री इस्राइल कात्ज़ ने भी तीखा बयान देते हुए कहा कि सेना को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं और वह जानती है कि अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए “इस आदमी का अस्तित्व नहीं रहना चाहिए”। इज़राइल ने हाल ही में ईरान के अराक हैवी वॉटर रिएक्टर पर हमला किया है, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अब तक का ताजा हमला है। ईरानी सरकारी टेलीविज़न ने कहा कि वहां किसी प्रकार का रेडिएशन खतरा नहीं है और हमले से पहले ही संयंत्र को खाली करवा लिया गया था।