सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकार को अधिकार दिया है कि जो भी वक्फ बोर्ड की संपत्तियां पोर्टल पर छह महीने के भीतर पंजीकृत नहीं होंगी, उन्हें सरकार जब्त कर सकती है। यह फैसला वक्फ बोर्ड के कथित अव्यवस्थाओं और मुनाफाखोरी के खिलाफ एक कड़ा कदम माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसे वक्फ कानून सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘वक्फ गैंग’ से प्रॉपर्टी छीनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आदेश के अनुसार, 4.6 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां अब छह महीने के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल वक्फ बोर्ड के पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की होटल और बंगला समेत कई वक्फ संपत्तियां भी जांच के दायरे में आ गई हैं। इन संपत्तियों के पंजीकरण ना होने और कथित गड़बड़ी के चलते अधिकारियों ने इन्हें जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि वक्फ बोर्ड संपत्तियों को समय सीमा के भीतर पंजीकृत नहीं करता है तो सरकार को उन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने का अधिकार रहेगा। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यह कदम वक्फ प्रबंधन में अवैध गतिविधियों को रोकने, धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और समाज के लाभ के लिए उठाया जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने बताया कि इस फैसले के बाद वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अनिवार्य कर दिया गया है ताकि सम्पत्तियों की सही जानकारी सार्वजनिक हो। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण फैसला है, जिससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर लगाम लगेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।”
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद वक्फ बोर्ड पर लगातार निगरानी बढ़ाई जाएगी। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन संपत्तियों का अवैध कब्जा रखने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आने वाले महीनों में यह कदम वक्फ संपत्तियों की प्रणाली को अधिक जवाबदेह और सुव्यवस्थित बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। जनता और विशेषज्ञ इस फैसले को ऐतिहासिक करार दे रहे हैं, जो वक्फ बोर्ड की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।