कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का 11वां दिन बुधवार को दरभंगा और आसपास के क्षेत्रों में पहुंचा, लेकिन यह चरण विवादों और हंगामे के बीच सुर्खियों में रहा। यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के साथ बाइक रैली निकाली। हालांकि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की मौजूदगी ने कार्यक्रम को अप्रत्याशित मोड़ दे दिया।
दरभंगा में आयोजित जनसभा के दौरान कुछ लोगों ने स्टालिन की उपस्थिति पर आपत्ति जताई। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि स्टालिन के परिवार के नेताओं ने अतीत में सनातन धर्म और हिंदी भाषियों को लेकर विवादित बयान दिए थे। लोगों ने सवाल किया कि जिन नेताओं पर इस तरह के बयान देने के आरोप हैं, उन्हें बिहार में चुनावी मंच साझा करने के लिए क्यों आमंत्रित किया गया।
राहुल गांधी की इस यात्रा का उद्देश्य मतदाता अधिकारों को लेकर लोगों को जागरूक करना है। कांग्रेस का आरोप है कि विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है और मतदाताओं के नाम योजनाबद्ध तरीके से हटाए जा रहे हैं। यात्रा के जरिए पार्टी इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहती है।
बाइक रैली में राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को अपने साथ बुलेट पर बैठाया, जिससे कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला। हालांकि, सभा के दौरान स्टालिन के खिलाफ लगे नारों और शोर-शराबे ने कार्यक्रम की दिशा बदल दी। कुछ स्थानीय लोगों ने पुराने विवादों का जिक्र करते हुए कहा कि बिहारियों को पहले भी अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है और ऐसे में इस तरह के नेताओं का मंच साझा करना उचित नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस यात्रा के माध्यम से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता दिखाना चाहती है। एम.के. स्टालिन की मौजूदगी को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा था। लेकिन दरभंगा में उठे सवालों ने यह साफ कर दिया कि विपक्षी दलों के लिए गठबंधन राजनीति आसान नहीं है।
यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि मतदाता सूची से नाम काटे जाने जैसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने मताधिकार की रक्षा के लिए सतर्क रहें।
जैसे-जैसे वोटर अधिकार यात्रा आगे बढ़ रही है, उसके साथ जुड़े विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और यात्रा को किस तरह से पटरी पर रखने की कोशिश करती है।