कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में वोटिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि इस क्षेत्र में 6,018 वोट डिलीट किए गए और 14 मिनट में कई वोट गायब हो गए। इसके अलावा, 36 सेकंड के भीतर दो फॉर्म जमा किए जाने की घटनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग के अंदर से जानकारी मिली है।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया। आयोग ने स्पष्ट किया कि कोई भी वोट ऑनलाइन डिलीट नहीं किया जा सकता और केंद्रीय निर्वाचन आयोग (CEC) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोप भी बेबुनियाद हैं। आयोग ने यह भी कहा कि ऐसी टिप्पणियां चुनाव प्रक्रिया की समझ के अभाव को दर्शाती हैं।
वहीं, राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में एक और अहम घटना ने ध्यान खींचा। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने सुनिश्चित किया कि सभी आरोपियों को ईडी की ECIR और 2014 में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज शिकायत की प्रतियां मिल चुकी हैं। अदालत ने अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की है।
इस सुनवाई ने गांधी परिवार के लिए महत्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत किया। मामले की जांच में यह देखा जा रहा है कि नेशनल हेराल्ड घोटाले में पार्टी और संपत्ति के इस्तेमाल को लेकर आरोपों की जांच की जा रही है। ईडी के नोटिस और अदालत के निर्देशों के अनुसार, सभी संबंधित दस्तावेज आरोपियों को उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी द्वारा लगाए गए वोट चोरी के आरोप फिलहाल कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं। चुनाव आयोग और ईडी की प्रतिक्रिया ने मामले को सार्वजनिक और राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया है।
इस घटना ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, राजनीतिक आरोपों की वैधता और नेशनल हेराल्ड घोटाले की कानूनी प्रक्रियाओं पर चर्चा को बढ़ावा दिया है। आने वाले दिनों में अदालत की अगली सुनवाई और जांच से ही यह स्पष्ट होगा कि आरोपों की पुष्टि कितनी है और राजनीतिक परिदृश्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।