कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में हैं। भोपाल की एक सभा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की ओर से सीजफायर दरअसल एक ‘सरेंडर’ था। राहुल का दावा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक इशारे पर मोदी ने कदम पीछे खींच लिए। इसी बयान को लेकर राजनीति में भूचाल आ गया है और अब इस पर बीजेपी ने राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला है। वहीं, सेना पर की गई एक पुरानी टिप्पणी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी राहुल को राहत देने से साफ इनकार कर दिया है।
भोपाल में दिए गए भाषण में राहुल गांधी ने कहा, “मैं बीजेपी और आरएसएस वालों को जानता हूं। उन्हें थोड़ा सा धक्का मारो तो डरकर भाग जाते हैं। ट्रंप का फोन आया और मोदी ने तुरंत ‘हुजूर’ कहकर उनकी बात मान ली।” इसी बयान को लेकर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर भी जारी किया, जिसमें ट्रंप मोदी को ‘सरेंडर’ करने को कहते हैं और मोदी ‘हजूर’ कहकर जवाब देते हैं। पोस्टर में लिखा गया—“नरेंद्र, सरेंडर नहीं होना था।”
बीजेपी का पलटवार और आरोपों की बौछार
राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ताओं ने कांग्रेस के इतिहास को घसीटते हुए कहा कि सरेंडर की असली परंपरा कांग्रेस की ही रही है—चाहे 1947 में पाकिस्तान के सामने हो, या 1962 में चीन के आगे। बीजेपी ने राहुल गांधी पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का भी आरोप लगाया और कहा कि ऐसे बयानों से भारत की छवि और सेना का मनोबल दोनों प्रभावित होते हैं।
हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत
इसी बीच, एक पुराने मानहानि केस में राहुल गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सेना के खिलाफ दिए गए बयान पर कोर्ट ने यह साफ किया कि संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार का यह मतलब नहीं कि कोई भारतीय सेना को बदनाम करे। कोर्ट ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने एमपी/एमएलए कोर्ट के समन आदेश को चुनौती दी थी।