राहुल गांधी इन दिनों लगातार देशभर का दौरा कर रहे हैं। भोपाल से लेकर चंडीगढ़ और अब पटना तक, वे संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये यात्राएं कांग्रेस के लिए नई ऊर्जा ला रही हैं या फिर अंदरूनी कलह को और बढ़ा रही हैं? वहीं दूसरी ओर, बेंगलुरु में IPL जीत के बाद हुए जश्न में मची भगदड़ से कर्नाटक सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं। कांग्रेस एक ओर राष्ट्रीय स्तर पर अपना संगठन दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है, लेकिन दूसरी ओर राज्य सरकार की नाकामी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
राहुल गांधी के अभियान पर उठते सवाल
मध्यप्रदेश में राहुल गांधी ने ‘संगठन सृजन अभियान’ की शुरुआत की, लेकिन उसी मंच से गुटबाजी की आवाजें सुनाई दीं। हरियाणा में दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष साफ दिखाई दिया। अब बिहार की यात्रा में भी स्थानीय नेताओं को लग रहा है कि राहुल गांधी की बातों और ज़मीनी सच्चाई में बड़ा फासला है। कांग्रेस के भीतर यह भी चर्चा है कि ‘न्यू इंडिया’ की जो बात राहुल कर रहे हैं, वो पार्टी की पारंपरिक विचारधारा से मेल नहीं खा रही। मंचों से नाराज़ नेता खुलकर विरोध जता रहे हैं, और सोशल मीडिया पर पुराने नेता खामोश हैं—जो संकेत है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं।
बेंगलुरु में हादसा, सरकार पर सवाल
बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर RCB की जीत के बाद आयोजित विजय जुलूस में भारी भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई। इस घटना को लेकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को घेरा है। उन्होंने इसका ठीकरा क्रिकेट एसोसिएशन पर फोड़ा और कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजनों में भी भगदड़ होती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार ने इतनी बड़ी भीड़ के लिए जरूरी इंतज़ाम किए थे? कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के लिए यह घटना एक बड़ा झटका है, क्योंकि इससे जनता में शासन की नाकामी का संदेश गया है।