कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की टिप्पणी से सियासी बवाल खड़ा हो गया है। प्रियांक ने एक सार्वजनिक बयान में कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में लौटती है, तो वह RSS को देशभर में कानूनी प्रक्रिया के तहत प्रतिबंधित करेगी। उनके इस बयान को कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से एक कदम आगे माना जा रहा है, जिससे राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है।
प्रियांक खड़गे ने अपने बयान में आरएसएस को सीधे-सीधे देश में नफरत फैलाने और सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “जो संगठन देश को बांटने का काम कर रहा है, जो संविधान को बदलने की बात करता है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। आरएसएस को बीजेपी से यह पूछना चाहिए कि देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है और पहलगाम जैसे आतंकी हमले क्यों हो रहे हैं?”
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस अगर 2024 या उसके बाद केंद्र की सत्ता में लौटती है, तो आरएसएस को प्रतिबंधित करने के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को आंतरिक खींचतान और मंत्री पद को लेकर असंतोष का सामना करना पड़ रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विवाद
प्रियांक खड़गे के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेताओं ने इसे ‘लोकतंत्र विरोधी मानसिकता’ करार देते हुए कहा है कि कांग्रेस की यह सोच आपातकाल की याद दिलाती है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान कांग्रेस की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब पार्टी आम चुनावों की तैयारियों में जुटी है।
हालांकि कांग्रेस की केंद्रीय नेतृत्व की ओर से इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है, लेकिन पार्टी के भीतर कई नेताओं ने इसे ‘व्यक्तिगत राय’ बताते हुए इससे दूरी बना ली है।
आंतरिक राजनीति का असर?
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियांक खड़गे का यह बयान कर्नाटक की सियासत से ध्यान हटाने और पार्टी हाईकमान में अपनी स्थिति मजबूत करने की एक कोशिश हो सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि वह राहुल गांधी की विचारधारा के करीब दिखकर केंद्रीय नेतृत्व में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
प्रियांक खड़गे के इस बयान ने कांग्रेस के लिए नई राजनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है। जहां य बयान पार्टी के भीतर वैचारिक बहस को हवा दे सकता है, वहीं भाजपा को भी कांग्रेस पर हमला करने का नया मौका मिल गया है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि कांग्रेस इस बयान से पैदा हुए राजनीतिक दबाव से कैसे निपटती है, और क्या पार्टी इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाती है या इसे एक ‘व्यक्तिगत बयान’ कहकर टालने की कोशिश करती है।