प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे और राहुल गांधी के गुजरात दौरे को लेकर सियासी गलियारे में तेजी से हलचल हो रही है। दो साल पहले मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के समय राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर सवाल उठ रहे हैं। अब, प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर का दौरा कर हिंसा प्रभावितों से मुलाकात की और 8,500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का ऐलान किया। इस कदम को कांग्रेस ने मुद्दा बदले जाने का प्रयास बताया, जबकि राहुल गांधी ने पीएम मोदी के दौरे को अच्छा मानते हुए असल मुद्दा वोट चोरी बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के चुराचांदपुर और इम्फाल में जाकर राज्य के विकास और शांति का संदेश दिया। चुराचांदपुर में 7,300 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नींव रखी गई और इम्फाल में 1,200 करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन किया गया। पीएम मोदी ने शांति और विकास के बीच संतुलन की बात करते हुए कहा कि भारत सरकार मणिपुर के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
वहीं दूसरी ओर गुजरात में राहुल गांधी की राजनीतिक मुहिम चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। हाल ही में गुजरात कांग्रेस के स्वागत में पाकिस्तानी गाने के बजने को लेकर विवाद तेज हो गया। इसके साथ ही राहुल गांधी जूनागढ़ में कांग्रेस जिलाध्यक्षों के साथ संवाद कर संगठन को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगामी 18 सितंबर को गुजरात दौरे की भी योजना बनाई है। लेकिन सियासी विशेषज्ञ मान रहे हैं कि राहुल गांधी की यह कोशिश अभी तक सफल नहीं हो रही।
साथ ही एक महत्वपूर्ण कानूनी मोड़ भी सामने आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां के खिलाफ अभद्र भाषा और देश तोड़ने की साजिश के आरोप में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट में आपराधिक शिकायत दाखिल की गई थी। अदालत ने इस अर्जी को स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले की सुनवाई 17 सितंबर को तय की गई है। इससे कांग्रेस पर एक और कानूनी दबाव बन गया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा विकास और शांति के एजेंडे को मजबूती देने के साथ-साथ कांग्रेस की राजनीति पर बड़ा असर डाल रहा है। वहीं राहुल गांधी का गुजरात मिशन फिलहाल कई सवालों के घेरे में है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अगले कुछ दिनों में राहुल गांधी के गुजरात दौरे और आगामी कोर्ट सुनवाई पर बनी हुई हैं।