ईरान पर इजरायल का बम बरस रहा है और कलेजा पाकिस्तान का फट रहा है। हालांकि पाकिस्तान की यह घबराहट ईरान से किसी हमदर्दी की वजह से नहीं है, बल्कि असली डर यह है कि ईरान के बाद अगला नंबर कहीं उसका न आ जाए। पाकिस्तान की संसद में इसको लेकर बहस छिड़ गई है कि उसके एटम बमों को कैसे बचाया जाएगा। शहबाज सरकार और उसके गठबंधन के नेता डरे हुए हैं, जबकि विपक्ष लगातार सरकार से तीखे सवाल पूछ रहा है।
पाकिस्तान के वरिष्ठ नेता मौलाना फजल उर रहमान ने संसद के भीतर एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि “ईरान के बाद इजरायल का अगला टारगेट पाकिस्तान के एटमी अड्डे हो सकते हैं।” मौलाना का यह बयान न केवल पाकिस्तान की असुरक्षा की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वहां की राजनीतिक व्यवस्था कितनी अस्थिर है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पाकिस्तान
आज दुनिया के ज्यादातर देशों में पाकिस्तान की कोई खास हैसियत नहीं बची है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ईरान-इजरायल जंग से दूरी बना चुके हैं। वहीं चीन और रूस भी पाकिस्तान के मौजूदा स्टैंड से नाराज बताए जा रहे हैं। इन वैश्विक बदलावों के बीच अब बर्बादी का खतरा ईरान से ज्यादा पाकिस्तान पर मंडराता दिख रहा है। सवाल ये है कि पाकिस्तान इस संकट से कैसे निपटेगा और इस बार कितनी दूर तक जाएगा।
पाकिस्तान के मौजूदा हालात और फील्ड मार्शल असीम मुनीर की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। हाल ही में असीम मुनीर अमेरिका के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने ऐसे समय में अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात की, जब ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है। इस मुलाकात को अमेरिका के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे ईरान अब पाकिस्तान को भी अपना दुश्मन मानने लगा है।
ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग अब और घातक होती जा रही है। लेकिन इस जंग में सबसे ज्यादा घाटे में फिलहाल पाकिस्तान दिख रहा है। संसद से लेकर सड़कों तक डर का माहौल है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की स्थिति बेहद कमजोर होती जा रही है।