पाकिस्तान एक बार फिर अपनी पुरानी आदतों पर उतर आया है — झूठ और भ्रम फैलाने की कोशिश में जुट गया है। इस बार मुद्दा था अमेरिकी सैन्य परेड में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को विशेष अतिथि के तौर पर बुलाए जाने का।

इस अफवाह को हवा देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भारत-अमेरिका संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने इसे भारत के लिए एक रणनीतिक झटका करार दिया और अमेरिका की मंशा पर संदेह जताया। लेकिन जल्द ही व्हाइट हाउस ने इन सभी दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि — “यह दावा पूरी तरह गलत और भ्रामक है, किसी भी विदेशी सैन्य अधिकारी को आमंत्रित नहीं किया गया था।”

इसका सीधा अर्थ यह है कि पाकिस्तान के साथ-साथ कांग्रेस की भी घोर बेइज्जती हो गई है। पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार फिर दुनिया के सामने आ गया है। वहीं कांग्रेस की जल्दबाज़ी और बिना तथ्यों की पुष्टि किए दिए गए बयानों ने उसकी राजनीतिक मंशा को भी उजागर कर दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर राजनीति करना कांग्रेस को भारी पड़ा है।

ईरान-इजराइल तनाव में पाकिस्तान की नई चाल, आसिफ ने दिए संकेत

वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान इजराइल के खिलाफ चल रही जंग में अब ईरान का साथ देने की तैयारी में है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसके स्पष्ट संकेत दिए हैं। उन्होंने दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की है। आसिफ का कहना है कि अगर अभी एक नहीं हुए, तो इजराइल आगे भी इसी तरह से सभी मुस्लिम देशों के खिलाफ कार्रवाई करता रहेगा।

इजराइल द्वारा ईरान पर किए जा रहे हमलों से पाकिस्तान अंदर ही अंदर डरा हुआ है। उसे यह आशंका सता रही है कि कहीं अगला निशाना वही न बन जाए। जबकि भारत पहले से ही पाकिस्तान के खिलाफ अपने ऑपरेशन जारी रखे हुए है।

तो अब सवाल यह है कि पाकिस्तान किस दिशा में जा रहा है? और क्या कांग्रेस को अपनी राजनीतिक टिप्पणियों से पहले तथ्यों की जांच नहीं करनी चाहिए?