पश्चिम बंगाल की राजनीति में तकरार और गहराती दिखाई दे रही है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि राज्य में करीब 35 से 40 लाख फर्जी वोटर बनाए गए हैं। यह आरोप ऐसे समय में सामने आया है जब ममता बनर्जी चुनाव आयोग और विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर केंद्र पर हमलावर रहीं। अब यह विवाद विपक्षी एकजुटता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

अधीर रंजन चौधरी का दावा

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने खुलासा करते हुए कहा कि बंगाल में बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों का नेटवर्क तैयार किया गया है। उनका कहना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। चौधरी का आरोप है कि ममता बनर्जी जिस मुद्दे पर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेर रही थीं, वही आरोप अब उनकी पार्टी पर लागू होता दिख रहा है।

अमित शाह का सख्त निर्देश

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को बड़ा निर्देश जारी किया है। शाह ने जिला प्रशासन, मुख्य सचिवों और केंद्रीय सुरक्षा बलों (CRPF) को आदेश दिया है कि वे सीमा से 30 किलोमीटर तक के दायरे में अवैध ढांचे और अतिक्रमण को हटाएं। इसके साथ ही घुसपैठियों पर कड़ी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि इस कदम से ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

विपक्षी एकजुटता पर दरार

जहां विपक्षी दल एकजुटता का दावा कर रहे हैं, वहीं बंगाल का यह नया विवाद उस दावे को कमजोर करता नजर आ रहा है। कांग्रेस और TMC के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस टकराव का असर केवल बंगाल तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि बिहार और केरल जैसे राज्यों में भी विपक्षी रणनीति प्रभावित हो सकती है।

विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया और फर्जी वोटरों का मामला आने वाले दिनों में बंगाल की राजनीति को और गर्मा सकता है। चुनाव आयोग भी इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है और संकेत मिल रहे हैं कि वह जल्द ही राज्य में विशेष अभियान चला सकता है। ऐसे में ममता बनर्जी और TMC के लिए यह विवाद एक बड़ी चुनौती बन सकता है, जबकि कांग्रेस और BJP इसे राजनीतिक अवसर के रूप में भुना सकती हैं।

फर्जी वोटर के आरोप और केंद्र सरकार के कड़े रुख ने बंगाल की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में चुनाव आयोग की कार्रवाई और विपक्षी दलों की रणनीति इस विवाद को और गहरा सकती है। इससे साफ है कि ममता बनर्जी और विपक्षी एकजुटता, दोनों के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी हो चुकी हैं।