पाकिस्तान की तरह ईरान को भी चीन से हथियार मिल रहे हैं, जिससे इजराइल की चिंता बढ़ गई है। चीन ने ईरान को मिसाइल तकनीक, ड्रोन और साइबर उपकरण मुहैया कराए हैं। इससे इजराइल ने ईरान को तबाह करने की कसम खाई है। इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के 200 से ज्यादा ठिकानों पर हमले किए हैं।
चीन का समर्थन और इजराइल की प्रतिक्रिया
चीन ने ईरान की संप्रभुता का समर्थन किया है और इजराइल के हमलों की निंदा की है। चीन ने कहा है कि वह ईरान की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन नहीं सहन करेगा। चीन का कहना है कि इजराइल ने लाल रेखा पार की है और संयम बरतने की आवश्यकता है। इससे यह संकेत मिलता है कि चीन इजराइल के खिलाफ ईरान के साथ खड़ा है।
चीन और ईरान का पुराना सहयोग
चीन और ईरान के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग कोई नई बात नहीं है। 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान चीन ने ईरान को हथियारों की आपूर्ति शुरू की थी। उस समय से दोनों देशों के बीच रक्षा, तेल और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है। चीन ने ईरान को मिसाइल तकनीक, ड्रोन और साइबर उपकरण मुहैया कराए हैं, जिससे ईरान की सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है।
अमेरिका की चेतावनी और वैश्विक स्थिति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिका पर हमला करता है, तो अमेरिकी सेना पूरी ताकत से जवाब देगी। इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका इजराइल के साथ खड़ा है और ईरान के खिलाफ कार्रवाई करेगा। चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से वैश्विक स्थिति और भी जटिल हो गई है।
ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते संघर्ष में चीन की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। चीन ने ईरान को सैन्य सहायता प्रदान की है, जिससे इजराइल की चिंता बढ़ गई है। अमेरिका ने भी इजराइल का समर्थन किया है, जिससे वैश्विक स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। अब यह देखना होगा कि इस संघर्ष का अंत कैसे होता है और क्या कोई कूटनीतिक समाधान निकलता है।