ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते संघर्ष के माहौल में भारत सरकार ने एक साहसिक और मानवीय कदम उठाते हुए ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने का कार्य शुरू कर दिया है। उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे करीब 110 भारतीय छात्रों को पहले ईरान से आर्मेनिया लाया गया और अब उन्हें 18 जून को दिल्ली लाने की योजना है। यह पहल भारत की विदेश नीति और नागरिक सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
भारत सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
ईरान-इज़राइल संघर्ष जैसे संवेदनशील हालात में भारत ने समय रहते कदम उठाया। छात्रों को आर्मेनिया की राजधानी येरेवन पहुंचाया गया है, जहां से उनकी फ्लाइट दिल्ली के लिए निर्धारित की गई है। विदेश मंत्रालय ने तत्काल 24×7 नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) और हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं ताकि वहां फंसे अन्य भारतीय भी समय पर मदद प्राप्त कर सकें।
इनमें टोल-फ्री नंबर 1800118797 के साथ-साथ अन्य संपर्क नंबर, व्हाट्सएप हेल्पलाइन और ईमेल आईडी भी शामिल हैं। तेहरान में भारतीय दूतावास ने अतिरिक्त इमरजेंसी नंबर जारी कर रखा है, जिसमें केवल कॉल और व्हाट्सएप के लिए अलग-अलग नंबर दिए गए हैं। इससे यह साफ है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर और सक्रिय है।
तेहरान में स्थिति तनावपूर्ण, ट्रंप के बयान ने और बढ़ाई चिंता
इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए मिलिट्री ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ के जवाब में ईरान ने भी हमला शुरू कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच खुला युद्ध आरंभ हो गया है। इस युद्ध के कारण तेहरान सहित कई क्षेत्रों में सुरक्षा हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा में जारी G7 शिखर सम्मेलन को अधूरा छोड़कर वॉशिंगटन लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने ईरान की जनता को तेहरान खाली करने की चेतावनी दी, जिससे आशंका और भय का माहौल और बढ़ गया है।
इन हालातों को देखते हुए भारत ने ईरान में रह रहे अपने सभी नागरिकों को सतर्क रहने, अनावश्यक गतिविधियों से बचने और दूतावास के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। यह घटना बताती है कि जब वैश्विक तनाव चरम पर होता है, तब भी भारत अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पीछे नहीं हटता।