ईरान और इजरायल के बीच चल रहा युद्ध अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है, जिसमें अमेरिका की दखलअंदाजी ने हालात को और विस्फोटक बना दिया है। इजरायली हमले से ईरान में भयंकर तबाही मची है, वहीं पाकिस्तान में इसकी सियासी गूंज साफ सुनाई दे रही है। भारत में भी विपक्ष केंद्र सरकार की विदेश नीति को लेकर सवाल उठा रहा है। इन सबके बीच देश के चार राज्यों में हुए उपचुनावों ने राजनीतिक समीकरणों को भी नया रंग दे दिया है।

ईरान-इजरायल युद्ध के 11वें दिन इजरायल ने बड़ा कदम उठाते हुए ईरान के छह प्रमुख एयरपोर्ट पर हवाई हमला कर दिया। मशहद, तेहरान, हमादान, देजफुल, शाहिद बख्तरी और तबरीज एयरपोर्ट पर हुए इन हमलों में ईरान के 15 फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर तबाह हो गए। बमबारी में अंडरग्राउंड बंकर, रनवे और ईंधन विमान भी चपेट में आए। जवाब में ईरान ने इजरायल का एक हर्मीस ड्रोन गिरा दिया। इस संघर्ष में अब तक ईरान के 700 और इजरायल के 30 नागरिकों की मौत हो चुकी है।

UNSC की बैठक में अमेरिका पर निशाना

ईरान पर हुए हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक हुई, जिसमें अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने ईरान के हालात पर रिपोर्ट पेश की। अमेरिका ने अपनी कार्रवाई को जायज ठहराया और कहा कि ईरान को किसी भी हाल में परमाणु हथियार नहीं बनाने दिए जाएंगे। दूसरी ओर, रूस, चीन और पाकिस्तान ने इजरायल-अमेरिका के हमलों की आलोचना की और संघर्षविराम का प्रस्ताव रखा।

पाकिस्तान में जनता नाराज़, भारत में विपक्ष आक्रामक

डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के फैसले ने पाकिस्तान सरकार को घेर लिया है। इस मुद्दे पर वहां जनता और विपक्ष का गुस्सा फूट पड़ा है। ट्रंप की तुलना चंगेज़ खान से करते हुए लोग असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ पर तीखे सवाल उठा रहे हैं। हालात को संभालने के लिए शाहबाज ने NSC की बैठक बुलाई, जिसमें सेना प्रमुख भी शामिल हुए।

उधर, भारत में कांग्रेस, लेफ्ट और सपा ने सरकार की चुप्पी पर नाराज़गी जताई है। नेताओं ने कहा कि जब दुनिया संकट में हो, भारत का खामोश रहना उसकी परंपरागत भूमिका के खिलाफ है।

वहीं, देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में विपक्ष को चार और बीजेपी को एक सीट मिली है, जिससे सियासी संकेतों में हलचल साफ देखी जा रही है।