आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूती देते हुए क्वाड देशों—भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया—ने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को कड़े शब्दों में आड़े हाथों लिया। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई गई। बैठक में भारत की सक्रिय भूमिका और कूटनीतिक दबदबा साफ तौर पर देखने को मिला।
बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समुदाय के साझा प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद का कोई धार्मिक या भौगोलिक बहाना नहीं हो सकता और इसकी जड़ पर प्रहार करना अनिवार्य है। जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस देश का स्पष्ट संकेत दिया, जो वर्षों से आतंकवाद को पनाह और समर्थन देता रहा है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं हो सकता। दोषियों को सजा दिलाना जरूरी है।”
गौरतलब है कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिसके बाद भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरा आक्रोश देखने को मिला। क्वाड देशों ने संयुक्त बयान जारी कर इस हमले की कड़ी निंदा की और आतंक के सभी स्वरूपों और उसके समर्थकों के खिलाफ एकजुट होने का संकल्प दोहराया।
बैठक में चार महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई—आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन। इन सभी मुद्दों पर चारों देशों ने आपसी सहयोग को और सशक्त बनाने की बात कही। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए क्वाड देशों की यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।
बैठक में विशेष रूप से भारत की भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी रहीं। भारत ने न केवल आतंकवाद के मुद्दे को मजबूती से उठाया, बल्कि सुरक्षा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी में भी अपनी सक्रियता दिखाई। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत की चिंताओं को समझते हुए आतंकवाद के खिलाफ अपने पूर्ण समर्थन की पुष्टि की।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान पर पहले से ही आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। क्वाड देशों की यह साझा चेतावनी पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश है कि आतंक के खिलाफ अब वैश्विक समुदाय किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतेगा।
आगे भी क्वाड देशों के बीच आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर सहयोग बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। यह बैठक वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका और कूटनीतिक शक्ति का संकेत भी देती है।