अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट दुर्घटना में सैकड़ों लोगों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे के तुरंत बाद पूरा देश शोक में डूबा और सभी राजनीतिक दलों ने संवेदना जताई। राहुल गांधी ने भी इसे ‘दिल दहला देने वाला’ बताया। लेकिन हादसे के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि कांग्रेस ने इस त्रासदी पर सियासत शुरू कर दी। मल्लिकार्जुन खरगे ने हादसे की आड़ में केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोल दिया और जांच की मांग को लेकर सियासी बयानबाजी छेड़ दी।
सवालों के घेरे में कांग्रेस की मंशा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मांग की कि हादसे की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा या रिटायर्ड जज से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। लेकिन जिस तरह से जांच की मांग के साथ-साथ सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश हुई, उस पर सवाल खड़े हो गए हैं। कुछ कांग्रेस नेताओं ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग तक कर डाली, जिससे यह साफ हो गया कि यह संवेदना से ज़्यादा एक राजनीतिक अवसर बन गया है।
राहुल गांधी की सोच पर निशाना
इस बीच कांग्रेस के पूर्व नेता लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने याद दिलाया कि राहुल गांधी ने भोपाल में संगठन सृजन अभियान के दौरान कहा था कि “लंगड़े घोड़े को कांग्रेस से निकाला जाएगा”। इस पर लक्ष्मण सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि जिनकी खुद की बारात नहीं निकली, वो क्या जानें कि बारात का घोड़ा कैसे चलता है। यह बयान सीधे-सीधे राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता और सोच पर सवाल खड़े करता है।
अहमदाबाद विमान हादसे की जांच होनी चाहिए, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से। लेकिन कांग्रेस को भी यह समझना होगा कि हर त्रासदी सिर्फ सत्ता विरोध का मंच नहीं हो सकती। राजनीति की जगह संवेदना और संयम होना चाहिए। पर्दे के पीछे जो रणनीति चल रही है, वह कांग्रेस की पुरानी शैली को ही दोहराती दिख रही है—सरकार पर हमला करो, भले मौका दुख का ही क्यों न हो।