ईरान-इजरायल के बीच जारी युद्ध को लेकर भारत की चुप्पी पर कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने आरोप लगाया है कि भारत की निष्क्रियता उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को कमजोर कर रही है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह बेहद हैरानी की बात है कि भारत पश्चिम एशिया की इस उथल-पुथल में वह भूमिका नहीं निभा रहा है, जो उसने ऐतिहासिक रूप से निभाई है। पार्टी के अनुसार, गाज़ा में बेगुनाह नागरिकों की हत्या के बाद इजरायल लगातार अन्य देशों पर भी बमबारी कर रहा है, ऐसे में भारत की चुप्पी समझ से परे है।
ईरान मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर मतभेद
जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचना कर रही है, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर प्रधानमंत्री मोदी के रुख और कूटनीति की सराहना कर रहे हैं। थरूर ने जंग पर पीएम मोदी के संतुलित रुख को ज़िम्मेदार और परिपक्व बताया है। इससे कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे पर स्पष्ट मतभेद सामने आ गए हैं, जो पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
वक्फ मुद्दे पर कांग्रेस की रणनीति पर उठे सवाल
उधर, वक्फ बोर्ड से जुड़े मुद्दों को लेकर कांग्रेस एक बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी में है। इसके लिए राहुल गांधी लगातार बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं और संगठन के नेताओं को तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस मुस्लिम संगठनों के साथ मिलकर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की योजना बना रही है। हालांकि, वक्फ को लेकर कांग्रेस की यह रणनीति अब पार्टी के विरोधियों के निशाने पर है। आरोप लग रहे हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे पर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और देश की एकता की कीमत पर वोटबैंक साध रही है।
ईरान को लेकर विपक्ष, खासकर कांग्रेस, जिस तरह से बेचैनी दिखा रही है, वह चिंता का विषय है। जब देश की सभी राजनीतिक ताकतों को एकजुट होकर विदेश नीति के साथ खड़ा होना चाहिए, तब कांग्रेस अलग राह चुनकर देश विरोधी ताकतों को अप्रत्यक्ष समर्थन देती नज़र आती है। वक्फ मुद्दे पर भी कांग्रेस की रणनीति सवालों के घेरे में है, जिससे उसकी राजनीति को लेकर बहस और तेज हो गई है।