कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के. मुरलीधरन ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि तिरुवनंतपुरम से सांसद और कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्य डॉ. शशि थरूर “अब हमारे साथ नहीं हैं।” यह बयान उस समय आया जब थरूर ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार का समर्थन किया था।

मुरलीधरन ने स्पष्ट कहा कि जब तक थरूर राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों पर अपना रुख नहीं बदलते, तब तक उन्हें तिरुवनंतपुरम में किसी भी कांग्रेस पार्टी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “जब तक वह अपनी राय नहीं बदलते, हम उन्हें किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाएंगे। वह हमारे साथ नहीं हैं, इसलिए उनके बहिष्कार की बात भी नहीं उठती।”

राष्ट्रीय सुरक्षा पर मतभेद की पृष्ठभूमि

शशि थरूर ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्र सर्वोपरि है और यदि कोई पार्टी देश के हित में काम नहीं करती, तो उसे आत्ममंथन करना चाहिए। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना और सरकार के रुख का समर्थन किया था, जिसे लेकर कांग्रेस के अंदर विरोध शुरू हो गया था।

केरल कांग्रेस में बढ़ता असंतोष

के. मुरलीधरन ने थरूर की पार्टी लाइन से अलग राय को लेकर तीखा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “केरल में हम शशि थरूर के साथ अब कोई सहयोग नहीं करेंगे। उन्होंने कांग्रेस, इंदिरा गांधी और संजय गांधी की आलोचना की है और अब राहुल गांधी के बयान का भी विरोध कर रहे हैं। उनकी इन गतिविधियों से पार्टी कार्यकर्ता बेहद दुखी हैं।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में थरूर की जीत के लिए कार्यकर्ताओं ने जी-जान लगाई थी, लेकिन अब वे खुद पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं। मुरलीधरन ने साफ किया कि अगर पार्टी नेतृत्व कुछ निर्देश देता है तो वे उसका पालन करेंगे, अन्यथा थरूर को समर्थन नहीं देंगे।

शशि थरूर और कांग्रेस के बीच बढ़ता मतभेद पार्टी के लिए एक और आंतरिक संकट का संकेत है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस नेतृत्व इस मामले में क्या रुख अपनाता है—क्या थरूर को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, या पार्टी उनके विचारों को लोकतांत्रिक असहमति के तौर पर स्वीकार करेगी।